एक छोटा बच्चा कपडे के शोरूम के बाहर खड़ा खड़ा कांच के सीसे में से खुछ कपड़ो को निहार रहा था,वहा बहुत सारे रंगीन कपडे थे | काफी देर बाद उसकी नज़र एक जगह रुक गयी और कुछ बुदबुदाने लग गया ,शायद उसे कई कपडा पसंद आ गया था |
अचानक उसके पास में एक नोजवान सुन्दर सी महिला उसके पास पहुंची | सकल और कपड़ो से लगता है कोई खाते पीते खानदान से है ,पर छोटे बच्चे को उसका पता नहीं था की कोई मेरे पास खड़ा है और अपने ही खयालो में मस्त था | खुछ देर तक वह महिला उसके पास कड़ी रहकर उसकी बाते सुनी और फिर उसके धीरे से सर पर हाथ फेरा, तो लड़का चोंक गया की क्या मुसीबत आ गयी ? महीला ने उससे पूछा :-तुम क्या देख रहे हो इतनी देर से ? बच्चे के मन में जो था उसने वो बिंदास बोलते हुए कहाः- की जो सामने लाल वाले कपडे देख रही हो वो कैसे है ? महिला ने जबाब दिया बहुत अच्छे है पर तुम तो उधर देख रहे थे | सच बतावो ? बच्चे ने जबाब दिया :- की में भगवान से प्राथना कर रहा था की मुझे वो ड्रेस दिला दे , उस औरत ने उसका हाथ पकड़ा और उसे शोरूम में ले गयी और वो कपडे दिला दिए और साथ ही उसे जूते और टोपी भी दिला दी | अब वो बच्चा एकदम शाही और सुन्दर लग रहा था | उस हेरान बच्चे ने उस औरत से पूछा की तुम भगवान हो या उनकी कोई रिश्तेदार ? अब औरत की आँखों में पानी आ गया और मुसकुरते हुए चली गयी |
तभी ये देख रहे एक वृद्ध आदमी ने कहा :-जो किसी की सेवा और सहायता करता है ,उसके ह्रदये में स्वयं भगवान विराजते है , और जब आप निस्वार्थ किसी के लिए खुछ करते है तो आपको आत्मिक शान्ति मिलती है |
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