Diagonal Call Spread Option Trading Strategy: एक स्मार्ट तरीका प्रीमियम कलेक्शन के लिए
विषय सूची (Table of Contents)
परिचय (Introduction)
Diagonal Call Spread एक उन्नत ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी है जो लॉन्ग कॉल और शॉर्ट कॉल को अलग-अलग एक्सपायरी डेट के साथ कॉम्बाइन करती है। यह स्ट्रैटेजी टाइम डिके (Time Decay) और वोलैटिलिटी (Volatility) से फायदा उठाती है। जब मार्केट साइडवेज (Sideways) या मॉडरेटली बुलिश (Moderately Bullish) होता है, तब यह स्ट्रैटेजी अच्छा परफॉर्म करती है। इसमें आप कम प्रीमियम पर लॉन्ग कॉल खरीदते हैं और ज्यादा प्रीमियम पर शॉर्ट कॉल बेचते हैं, जिससे नेट क्रेडिट (Net Credit) मिलता है।
Diagonal Call Spread क्या है? (What is Diagonal Call Spread)
Diagonal Call Spread एक नॉन-डायरेक्शनल (Non-Directional) स्ट्रैटेजी है जिसमें:
- दूर की एक्सपायरी (Far Expiry) में लॉन्ग कॉल खरीदा जाता है (Lower Strike)
- नजदीक की एक्सपायरी (Near Expiry) में शॉर्ट कॉल बेचा जाता है (Higher Strike)
इस स्ट्रैटेजी में दोनों कॉल ऑप्शन अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस और अलग-अलग एक्सपायरी डेट के होते हैं।
4 मुख्य परिदृश्य (4 Key Scenarios)
1. मार्केट साइडवेज रहता है (Market Remains Sideways)
शॉर्ट कॉल एक्सपायर वर्थलेस (Worthless) हो जाता है और आप प्रीमियम कलेक्ट करते हैं। लॉन्ग कॉल में टाइम वैल्यू कम हो जाती है लेकिन आप अगली एक्सपायरी में नया शॉर्ट कॉल बेच सकते हैं।
2. मार्केट ऊपर जाता है (Market Moves Up)
शॉर्ट कॉल प्रोफिट में रहता है जबकि लॉन्ग कॉल भी प्रोफिट में जाता है। दोनों के प्रोफिट/लॉस एक-दूसरे को हेज (Hedge) करते हैं।
3. मार्केट नीचे जाता है (Market Moves Down)
शॉर्ट कॉल प्रीमियम कलेक्ट हो जाता है जबकि लॉन्ग कॉल का प्रीमियम कम हो जाता है। नेट प्रोफिट होता है।
4. मार्केट तेजी से ऊपर जाता है (Market Moves Up Sharply)
शॉर्ट कॉल पर लॉस होता है लेकिन लॉन्ग कॉल से अनलिमिटेड प्रोफिट की संभावना होती है।
Nifty 50 का उदाहरण (Nifty 50 Example)
मान लीजिए Nifty 50 अभी 22,000 पर है और आपको लगता है कि अगले 1 महीने में यह 22,500 तक जा सकता है।
स्ट्रैटेजी कंस्ट्रक्शन (Strategy Construction):
- 1 लॉन्ग कॉल खरीदें: 22,000 स्ट्राइक, 1 महीने की एक्सपायरी, प्रीमियम ₹200 (कुल ₹15,000 [200×75])
- 1 शॉर्ट कॉल बेचें: 22,500 स्ट्राइक, 1 सप्ताह की एक्सपायरी, प्रीमियम ₹80 (कुल ₹6,000 [80×75])
नेट डेबिट/क्रेडिट (Net Debit/Credit):
नेट डेबिट = ₹15,000 - ₹6,000 = ₹9,000
संभावित परिणाम (Possible Outcomes):
1. Nifty एक्सपायरी पर 22,200 पर है:
शॉर्ट कॉल एक्सपायर वर्थलेस (₹6,000 प्रोफिट)
लॉन्ग कॉल का प्रीमियम बढ़कर ₹250 हो गया (₹3,750 प्रोफिट)
कुल प्रोफिट = ₹9,750
2. Nifty एक्सपायरी पर 22,600 पर है:
शॉर्ट कॉल पर ₹100 का लॉस (₹7,500)
लॉन्ग कॉल का प्रीमियम ₹600 (₹30,000 प्रोफिट)
कुल प्रोफिट = ₹22,500
एंट्री और एक्जिट प्लानिंग (Entry and Exit Planning)
एंट्री के लिए शर्तें (Entry Conditions):
- जब IV (Implied Volatility) हाई हो और अपने पीक के करीब हो
- जब मार्केट सपोर्ट लेवल के पास हो
- जब टेक्निकल इंडिकेटर्स ओवरसोल्ड (Oversold) हों
एक्जिट स्ट्रैटेजी (Exit Strategy):
- शॉर्ट कॉल को एक्सपायरी पर एक्सपायर होने दें या 50-70% प्रोफिट बुक कर लें
- लॉन्ग कॉल को तब बेचें जब टारगेट हिट हो या स्टॉप लॉस ट्रिगर हो
- अगर मार्केट तेजी से नीचे जाए तो पूरी पोजीशन बंद कर दें
ब्रेकईवन प्राइस कैलकुलेशन (Breakeven Price Calculation)
ब्रेकईवन प्राइस = लॉन्ग कॉल का स्ट्राइक + (नेट डेबिट/लॉट साइज)
उपरोक्त Nifty उदाहरण में:
ब्रेकईवन = 22,000 + (9,000/75) = 22,000 + 120 = 22,120
इसका मतलब है कि अगर Nifty एक्सपायरी पर 22,120 से ऊपर है तो आप प्रोफिट में होंगे।
स्ट्राइक प्राइस चयन (Strike Price Selection)
- लॉन्ग कॉल: ATM (At The Money) या थोड़ा OTM (Out of The Money) चुनें
- शॉर्ट कॉल: 1 स्ट्राइक OTM चुनें जहां प्रीमियम अच्छा मिल रहा हो
- दोनों स्ट्राइक के बीच 300-500 पॉइंट का अंतर रखें
- शॉर्ट कॉल की एक्सपायरी लॉन्ग कॉल से पहले की होनी चाहिए
रिस्क और रिवार्ड (Risk and Reward)
मैक्सिमम रिस्क (Maximum Risk):
नेट डेबिट (उपरोक्त उदाहरण में ₹9,000)
मैक्सिमम प्रोफिट (Maximum Profit):
अनलिमिटेड (शॉर्ट कॉल के स्ट्राइक से ऊपर)
प्रोबेबिलिटी ऑफ प्रोफिट (Probability of Profit):
60-70% (सामान्य मार्केट कंडीशन में)
क्या करें और क्या न करें (Dos and Don'ts)
क्या करें (Dos):
- हमेशा स्टॉप लॉस का प्रयोग करें
- एक बार में पोर्टफोलियो का 5% से ज्यादा रिस्क न लें
- IV रैंक (Implied Volatility Rank) चेक करके ही ट्रेड लें
- शॉर्ट कॉल की एक्सपायरी 7-15 दिन की ही रखें
क्या न करें (Don'ts):
- अनहैज्ड (Unhedged) शॉर्ट कॉल न बेचें
- इमोशनल होकर ट्रेड न लें
- रोल ओवर (Roll Over) करते समय नए डेटा को इग्नोर न करें
- बिना बैकटेस्ट (Backtest) के स्ट्रैटेजी न अपनाएं
निष्कर्ष (Conclusion)
Diagonal Call Spread एक बेहतरीन स्ट्रैटेजी है जब आप मार्केट से मॉडरेट मूवमेंट की उम्मीद करते हैं। यह स्ट्रैटेजी टाइम डिके और वोलैटिलिटी कंट्रैक्शन (Volatility Contraction) से फायदा उठाती है। हालांकि, इस स्ट्रैटेजी को सफलतापूर्वक इस्तेमाल करने के लिए आपको सही स्ट्राइक सिलेक्शन, टाइमिंग और रिस्क मैनेजमेंट का ध्यान रखना होगा। Nifty 50 जैसे लिक्विड इंडेक्स में इस स्ट्रैटेजी को आजमाएं और छोटे लॉट साइज से शुरुआत करें।
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