Long Call Ladder Option Trading Strategy: कम जोखिम में उच्च रिटर्न पाने का तरीका
Long Call Ladder एक एडवांस्ड ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी (advanced option trading strategy) है जो बुलिश मार्केट (bullish market) में कम जोखिम के साथ अच्छा प्रॉफिट कमाने का मौका देती है। यह स्ट्रैटेजी तीन कॉल ऑप्शन (call options) का कॉम्बिनेशन (combination) होती है - एक ITM (In The Money) कॉल खरीदना, एक ATM (At The Money) कॉल बेचना और एक OTM (Out The Money) कॉल बेचना। Nifty 50 जैसे इंडेक्स में इस स्ट्रैटेजी को अप्लाई (apply) करके आप मार्केट की मॉडरेट अपवर्ड मूवमेंट (moderate upward movement) से प्रॉफिट कमा सकते हैं। इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि यह स्ट्रैटेजी कैसे काम करती है, इसके फायदे-नुकसान, ब्रेकईवन पॉइंट (breakeven point) की गणना और Nifty 50 पर इसका प्रैक्टिकल उदाहरण।
विषय सूची (Table of Contents)
Long Call Ladder Strategy क्या है?
Long Call Ladder एक मल्टी-लेग ऑप्शन स्ट्रैटेजी (multi-leg option strategy) है जिसमें हम तीन अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस (strike prices) के कॉल ऑप्शन का उपयोग करते हैं। यह स्ट्रैटेजी बुल कॉल स्प्रेड (bull call spread) का एक्सटेंडेड वर्जन (extended version) है जिसमें एक अतिरिक्त OTM कॉल सेल (OTM call sell) जोड़ा जाता है।
इस स्ट्रैटेजी के तीन मुख्य कॉम्पोनेंट (components) हैं:
- 1 ITM (In The Money) कॉल ऑप्शन खरीदना
- 1 ATM (At The Money) कॉल ऑप्शन बेचना
- 1 OTM (Out The Money) कॉल ऑप्शन बेचना
इस स्ट्रैटेजी का मुख्य उद्देश्य (main objective) मार्केट के मॉडरेट अपवर्ड मूवमेंट (moderate upward movement) से प्रॉफिट कमाना है, जबकि मार्केट के तेजी से ऊपर जाने या नीचे जाने की स्थिति में रिस्क को लिमिट (limit) करना है।
इस स्ट्रैटेजी का उपयोग कब करें?
Long Call Ladder स्ट्रैटेजी का उपयोग निम्न स्थितियों में किया जाता है:
- जब आपको मार्केट में मॉडरेट अपवर्ड मूवमेंट (moderate upward movement) की उम्मीद हो
- जब इम्प्लाइड वोलेटिलिटी (implied volatility) हाई हो और आप उससे प्रॉफिट कमाना चाहते हों
- जब आप लिमिटेड रिस्क (limited risk) के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हों
- जब आपको लगता है कि मार्केट एक सीमित रेंज (limited range) में ऊपर जाएगा
Long Call Ladder का निर्माण कैसे करें
इस स्ट्रैटेजी को बनाने के लिए निम्न स्टेप्स (steps) फॉलो करें:
- ITM कॉल खरीदें: सबसे पहले एक ITM (In The Money) कॉल ऑप्शन खरीदें। यह आपकी स्ट्रैटेजी का बेस (base) होगा।
- ATM कॉल बेचें: फिर एक ATM (At The Money) कॉल ऑप्शन बेचें। इससे आपको प्रीमियम (premium) मिलेगा जो ITM कॉल की कीमत को ऑफसेट (offset) करेगा।
- OTM कॉल बेचें: अंत में एक OTM (Out The Money) कॉल ऑप्शन बेचें। यह अतिरिक्त प्रीमियम जनरेट (generate) करेगा।
सभी ऑप्शन एक ही एक्सपायरी डेट (expiry date) के होने चाहिए और आमतौर पर स्ट्राइक प्राइस (strike prices) में समान अंतर (equal difference) होना चाहिए।
Nifty 50 पर प्रैक्टिकल उदाहरण
मान लीजिए Nifty 50 करंटली (currently) 22,000 पर ट्रेड कर रहा है। हम निम्न Long Call Ladder स्ट्रैटेजी बनाते हैं:
- खरीदें: 1 लॉट (lot) 21,800 स्ट्राइक कॉल @ ₹300 प्रीमियम (Nifty लॉट साइज = 75)
- बेचें: 1 लॉट 22,000 स्ट्राइक कॉल @ ₹200 प्रीमियम
- बेचें: 1 लॉट 22,200 स्ट्राइक कॉल @ ₹100 प्रीमियम
नेट प्रीमियम आउटफ्लो (Net Premium Outflow):
(₹300 - ₹200 - ₹100) × 75 = ₹0 (इस उदाहरण में हमने नेट क्रेडिट (net credit) स्थिति मानी है)
मैक्सिमम प्रॉफिट (Maximum Profit):
(22,000 - 21,800) × 75 = ₹15,000 (अगर एक्सपायरी पर Nifty 22,000 पर बंद हो)
मैक्सिमम लॉस (Maximum Loss):
(22,200 - 22,000) × 75 - ₹0 = ₹15,000 (अगर Nifty 22,200 से ऊपर जाता है)
4 मुख्य परिदृश्य और उनका विश्लेषण
1. एक्सपायरी पर Nifty 21,800 से नीचे
इस स्थिति में सभी कॉल ऑप्शन वर्थलेस (worthless) एक्सपायर होंगे। आपका नेट लॉस (net loss) नेट प्रीमियम आउटफ्लो (net premium outflow) तक सीमित होगा। हमारे उदाहरण में यह ₹0 है।
2. एक्सपायरी पर Nifty 21,800 और 22,000 के बीच
21,800 कॉल ITM (In The Money) होगा जबकि अन्य दोनों कॉल OTM (Out The Money) रहेंगे। आपका प्रॉफिट बढ़ता जाएगा जैसे-जैसे Nifty 22,000 के करीब पहुंचेगा।
3. एक्सपायरी पर Nifty 22,000 पर
यह आपके लिए आदर्श स्थिति (ideal scenario) है जहां आपको मैक्सिमम प्रॉफिट (maximum profit) मिलेगा। हमारे उदाहरण में यह ₹15,000 होगा।
4. एक्सपायरी पर Nifty 22,200 से ऊपर
इस स्थिति में आपका लॉस फिक्स्ड (fixed) हो जाएगा। 22,200 के बाद प्रॉफिट/लॉस में कोई बदलाव नहीं होगा। हमारे उदाहरण में मैक्सिमम लॉस ₹15,000 होगा।
ब्रेकईवन पॉइंट की गणना
Long Call Ladder स्ट्रैटेजी में दो ब्रेकईवन पॉइंट (breakeven points) होते हैं:
लोअर ब्रेकईवन पॉइंट (Lower Breakeven Point):
= सबसे लोअर स्ट्राइक + नेट प्रीमियम पेड
हमारे उदाहरण में: 21,800 + 0 = 21,800
अपर ब्रेकईवन पॉइंट (Upper Breakeven Point):
= हायेस्ट स्ट्राइक - (मिडिल स्ट्राइक - लोअर स्ट्राइक) + नेट प्रीमियम पेड
हमारे उदाहरण में: 22,200 - (22,000 - 21,800) + 0 = 22,000
इसका मतलब है कि अगर Nifty एक्सपायरी पर 21,800 से नीचे या 22,000 से ऊपर रहता है तो आपको नुकसान होगा। 21,800 और 22,000 के बीच में प्रॉफिट होगा।
रिस्क और रिवार्ड
रिस्क (Risk):
- मैक्सिमम रिस्क (maximum risk) लिमिटेड (limited) है
- हमारे उदाहरण में मैक्सिमम रिस्क ₹15,000 है (अगर Nifty 22,200 से ऊपर जाता है)
रिवार्ड (Reward):
- मैक्सिमम प्रॉफिट (maximum profit) भी लिमिटेड है
- हमारे उदाहरण में मैक्सिमम प्रॉफिट ₹15,000 है (अगर Nifty 22,000 पर एक्सपायर होता है)
रिस्क-रिवार्ड रेश्यो (Risk-Reward Ratio):
इस उदाहरण में 1:1 है, जो कि एक अच्छा रेश्यो (ratio) माना जाता है।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें (Dos):
- स्ट्राइक प्राइस (strike prices) का चयन सावधानी से करें
- केवल तभी इस स्ट्रैटेजी का उपयोग करें जब आपको मार्केट के मॉडरेटली ऊपर जाने की उम्मीद हो
- एक्सपायरी से पहले प्रॉफिट बुक (book) करने पर विचार करें
- हमेशा स्टॉप लॉस (stop loss) का पालन करें
क्या न करें (Don'ts):
- इस स्ट्रैटेजी का उपयोग हाई वोलेटिलिटी (high volatility) के समय न करें
- स्ट्राइक प्राइस में बहुत ज्यादा अंतर न रखें
- एक्सपायरी के बहुत करीब इस स्ट्रैटेजी में न एंटर (enter) करें
- अपने रिस्क कैपेसिटी (risk capacity) से ज्यादा पोजीशन (position) न लें
निष्कर्ष (Conclusion)
Long Call Ladder स्ट्रैटेजी एक एडवांस्ड (advanced) ऑप्शन ट्रेडिंग तकनीक है जो मॉडरेट बुलिश मार्केट (moderate bullish market) में अच्छा परिणाम दे सकती है। यह स्ट्रैटेजी लिमिटेड रिस्क (limited risk) के साथ अच्छा रिटर्न देने की क्षमता रखती है, लेकिन इसके लिए सही स्ट्राइक सिलेक्शन (strike selection) और मार्केट डायरेक्शन (market direction) का सही अनुमान जरूरी है। Nifty 50 जैसे इंडेक्स पर इस स्ट्रैटेजी को अप्लाई करने से पहले पेपर ट्रेडिंग (paper trading) से इसका टेस्ट (test) जरूर कर लें। याद रखें कि कोई भी ऑप्शन स्ट्रैटेजी 100% सफलता की गारंटी (guarantee) नहीं देती, इसलिए हमेशा रिस्क मैनेजमेंट (risk management) का पालन करें।
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