Bull Call Diagonal Option Trading Strategy

Bull Call Diagonal Option Trading Strategy: A Complete Guide (बुल कॉल डायगोनल ऑप्शन ट्रेडिंग)

बुल कॉल डायगोनल स्ट्रैटेजी एक एडवांस्ड ऑप्शन ट्रेडिंग तकनीक है जो लिमिटेड रिस्क के साथ बुलिश (bullish) मार्केट में प्रॉफिट कमाने का अवसर देती है। यह स्ट्रैटेजी लॉन्ग कॉल (long call) और शॉर्ट कॉल (short call) को मिलाकर बनाई जाती है जिसमें अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस (strike price) और एक्सपायरी डेट (expiry date) होते हैं। Nifty 50 इंडेक्स में इस स्ट्रैटेजी को ₹75 के लॉट साइज (lot size) के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। यह गाइड आपको इस स्ट्रैटेजी को स्टेप-बाय-स्टेप समझाएगा और रियलिस्टिक उदाहरणों के साथ प्रैक्टिकल ज्ञान देगा।

What is Bull Call Diagonal Strategy? (बुल कॉल डायगोनल स्ट्रैटेजी क्या है?)

बुल कॉल डायगोनल स्ट्रैटेजी एक डेबिट (debit) स्प्रेड स्ट्रैटेजी है जिसमें हम दो कॉल ऑप्शन (call options) खरीदते और बेचते हैं:

  1. लॉन्ग कॉल (Long Call): हायर स्ट्राइक प्राइस (higher strike price) पर लेटर एक्सपायरी (later expiry) वाला कॉल ऑप्शन खरीदें
  2. शॉर्ट कॉल (Short Call): लोअर स्ट्राइक प्राइस (lower strike price) पर नियर एक्सपायरी (near expiry) वाला कॉल ऑप्शन बेचें

इस स्ट्रैटेजी का मुख्य उद्देश्य टाइम डिके (time decay) से फायदा उठाना और लिमिटेड रिस्क के साथ मॉडरेट अपवर्ड मूवमेंट (moderate upward movement) से प्रॉफिट कमाना है।

When to Use This Strategy? (इस स्ट्रैटेजी का उपयोग कब करें?)

इस स्ट्रैटेजी का उपयोग निम्न स्थितियों में किया जाता है:

  • जब मार्केट मॉडरेटली बुलिश (moderately bullish) हो
  • जब आपको लगता है कि अंडरलाइंग (underlying) की कीमत धीरे-धीरे बढ़ेगी
  • जब वोलैटिलिटी (volatility) हाई हो और आप उससे फायदा उठाना चाहते हों
  • जब आप टाइम डिके (time decay) के खिलाफ काम करना चाहते हों

Strategy Construction (स्ट्रैटेजी कैसे बनाएं)

इस स्ट्रैटेजी को बनाने के लिए निम्न स्टेप्स फॉलो करें:

  1. लॉन्ग कॉल खरीदें: हायर स्ट्राइक प्राइस (higher strike price) पर लेटर एक्सपायरी (later expiry) वाला कॉल ऑप्शन खरीदें
  2. शॉर्ट कॉल बेचें: लोअर स्ट्राइक प्राइस (lower strike price) पर नियर एक्सपायरी (near expiry) वाला कॉल ऑप्शन बेचें
  3. नेट डेबिट: यह स्ट्रैटेजी नेट डेबिट (net debit) में बनती है (आपको प्रीमियम (premium) पे करना पड़ता है)
  4. लॉट साइज: Nifty 50 में लॉट साइज 75 है, इसलिए प्रीमियम को 75 से गुणा करना होगा

Nifty 50 Example with Calculations (निफ्टी 50 उदाहरण)

मान लीजिए Nifty 50 वर्तमान में 19,500 पर ट्रेड कर रहा है। हम निम्न ट्रेड करते हैं:

  • लॉन्ग कॉल: 19,700 स्ट्राइक, 1 महीने की एक्सपायरी, प्रीमियम ₹150
  • शॉर्ट कॉल: 19,600 स्ट्राइक, 1 सप्ताह की एक्सपायरी, प्रीमियम ₹80

नेट डेबिट: ₹150 (लॉन्ग कॉल) - ₹80 (शॉर्ट कॉल) = ₹70 प्रति शेयर

टोटल नेट डेबिट: ₹70 × 75 (लॉट साइज) = ₹5,250

Possible Scenarios (संभावित परिदृश्य)

  1. निफ्टी 19,600 से नीचे एक्सपायर होता है: शॉर्ट कॉल एक्सपायर वर्थलेस (worthless) होगा, लॉन्ग कॉल का मूल्य बचा रहेगा
  2. निफ्टी 19,600 और 19,700 के बीच एक्सपायर होता है: शॉर्ट कॉल पर असाइनमेंट (assignment) होगा, लॉन्ग कॉल का कुछ मूल्य बचेगा
  3. निफ्टी 19,700 से ऊपर एक्सपायर होता है: दोनों कॉल इन द मनी (in the money) होंगे, मैक्सिमम प्रॉफिट मिलेगा

4 Trading Scenarios (4 ट्रेडिंग परिदृश्य)

Scenario 1: Nifty Expires Below 19,600 (निफ्टी 19,600 से नीचे एक्सपायर)

इस स्थिति में:

  • शॉर्ट कॉल एक्सपायर वर्थलेस (worthless) होगा - आप ₹80 × 75 = ₹6,000 प्रीमियम रखेंगे
  • लॉन्ग कॉल का कुछ मूल्य बचा रहेगा (time value)
  • नेट प्रॉफिट = शॉर्ट कॉल प्रीमियम - लॉन्ग कॉल प्रीमियम + लॉन्ग कॉल का बचा हुआ मूल्य

Scenario 2: Nifty Expires Between 19,600-19,700 (निफ्टी 19,600-19,700 के बीच एक्सपायर)

इस स्थिति में:

  • शॉर्ट कॉल इन द मनी (in the money) होगा - असाइनमेंट होगा
  • लॉन्ग कॉल का कुछ मूल्य बचा रहेगा
  • प्रॉफिट = (एक्सपायरी प्राइस - 19,600) × 75 + शॉर्ट कॉल प्रीमियम - लॉन्ग कॉल प्रीमियम

Scenario 3: Nifty Expires Above 19,700 (निफ्टी 19,700 से ऊपर एक्सपायर)

इस स्थिति में:

  • दोनों कॉल इन द मनी (in the money) होंगे
  • मैक्सिमम प्रॉफिट = (19,700 - 19,600) × 75 - नेट डेबिट
  • हमारे उदाहरण में: (100 × 75) - 5,250 = ₹7,500 - ₹5,250 = ₹2,250 प्रॉफिट

Scenario 4: Early Exit (जल्दी एक्जिट)

आप एक्सपायरी से पहले भी पोजीशन को क्लोज (close) कर सकते हैं जब:

  • आपको 50% प्रॉफिट मिल जाए
  • स्टॉप लॉस (stop loss) ट्रिगर हो जाए
  • मार्केट कंडीशन बदल जाए

Breakeven Price Calculation (ब्रेकईवन प्राइस कैलकुलेशन)

ब्रेकईवन प्राइस की गणना निम्न फॉर्मूले से की जाती है:

ब्रेकईवन = शॉर्ट कॉल स्ट्राइक + (नेट डेबिट प्रति शेयर × (लेटर एक्सपायरी में दिन/नियर एक्सपायरी में दिन))

हमारे उदाहरण में:

मान लीजिए नियर एक्सपायरी में 7 दिन बचे हैं और लेटर एक्सपायरी में 30 दिन बचे हैं:

ब्रेकईवन = 19,600 + (70 × (30/7)) ≈ 19,600 + 300 = 19,900

इसका मतलब है कि निफ्टी को 19,900 तक पहुँचने की जरूरत है ताकि आप ब्रेकईवन हो सकें।

Risk and Reward Analysis (रिस्क और रिवार्ड विश्लेषण)

मैक्सिमम रिस्क: नेट डेबिट (हमारे उदाहरण में ₹5,250)

मैक्सिमम रिवार्ड: (हायर स्ट्राइक - लोअर स्ट्राइक) × लॉट साइज - नेट डेबिट

हमारे उदाहरण में: (19,700 - 19,600) × 75 - 5,250 = ₹2,250

रिस्क-रिवार्ड रेशियो: 5,250 : 2,250 ≈ 2.33 : 1

प्रॉबेबिलिटी ऑफ प्रॉफिट: मार्केट के मॉडरेटली बुलिश होने पर 50-60%

Dos and Don'ts (क्या करें और क्या न करें)

Dos (क्या करें)

  • ट्रेड से पहले पूरा विश्लेषण (analysis) करें
  • रिस्क मैनेजमेंट (risk management) का पालन करें
  • स्टॉप लॉस (stop loss) का उपयोग करें
  • मार्केट ट्रेंड (market trend) को समझें
  • पोजीशन साइजिंग (position sizing) का ध्यान रखें

Don'ts (क्या न करें)

  • इमोशनल (emotional) होकर ट्रेड न करें
  • रिस्क कैपिटल (risk capital) से ज्यादा निवेश न करें
  • न्यूज (news) के आधार पर अचानक डिसीजन (decision) न लें
  • ट्रेडिंग प्लान (trading plan) के बिना ट्रेड न करें

Common Mistakes (आम गलतियाँ)

  1. गलत स्ट्राइक सिलेक्शन (strike selection): बहुत दूर या बहुत पास के स्ट्राइक चुनना
  2. टाइमिंग एरर (timing error): गलत एक्सपायरी चुनना
  3. रिस्क मैनेजमेंट (risk management) की अनदेखी: स्टॉप लॉस न लगाना
  4. ओवरलीवरेज (overleverage): ज्यादा पोजीशन लेना
  5. प्लान की कमी: एंट्री और एग्जिट स्ट्रैटजी (entry and exit strategy) न होना

Question in Mind? (मन में प्रश्न?)

अगर आपके मन में इस स्ट्रैटेजी से संबंधित कोई प्रश्न है, तो कमेंट सेक्शन में पूछें। हम आपके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

Disclaimer (अस्वीकरण)

यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। यह निवेश सलाह (investment advice) नहीं है। ऑप्शन ट्रेडिंग (option trading) में उच्च जोखिम (high risk) होता है। कृपया अपने वित्तीय सलाहकार (financial advisor) से परामर्श करें और स्वयं शोध (research) करें before किसी भी ट्रेड को एक्जीक्यूट (execute) करने से पहले। पिछला प्रदर्शन (past performance) भविष्य के परिणामों (future results) का संकेत नहीं है।

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