ढाबे पे खाना नही खाते ....महंगी होटल में खाते है..
देशी शराब नही पीते.....विदेशी ब्रांड की व्हिस्की के पेग लगाते है...
सरकारी स्कुल में नही....कोन्वेंट में बच्चो को पढ़ाते है...
दर्जी से कपड़े नही सिलवाते...पेंटालून, और बिग बाज़ार
से लाते है...
यह वही लोग है जो ऐशो आराम में लाखो उड़ाते है...
पर रेल किराया जरासा बढ़ जाए तो सबसे ज्यादा बवाल मचाते है...
हर दिन 200 -300 की दारु पीनेवाला दारू
महंगी हो रही है इस पर कभी नही बोलता...
लेकिन महीने में एकाद बार रेल सफर करना है
तो भी जरासा किराया क्या बढ़ गया....
हाय हाय मचा रखी है...
सपने देखना बुलेट ट्रेन के, और
किराया देना बेलगाडी का,
गलत बात हॆ...
मॆ 14% किराया बढोतरी का समर्थन करता हुँ॥
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