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संता - बंता चुटकुले - मैं खुद हैरान हूं की कब बना, कल शाम को तो नहीं था


अमेरिका से संता का एक दोस्त भारत घूमने आया।

कुतुब मीनार के पास पहुंच कर संता का दोस्त उससे बोला।

दोस्त- ये कुतुब मीनार कितने दिन में बना है?

संता- एक महीने में।

दोस्त- ये हमारे मुल्क में तो दो हफ्ते में बन जाता।

थोड़ा आगे जाने के बाद दोस्त ने फिर संता से पूछा।

दोस्त- ये लाल किला कितने दिन में बना है?

संता- सिर्फ दो हफ्ते में।

दोस्त- हमारे मुल्क में तो तीन दिन में बन जाता।

जब वे दोनों ताजमहल के पास से गुजरे तो दोस्त ने संता से फिर पूछा।

दोस्त- ये ताजमहल कितने दिन में बना है?

संता- मैं खुद हैरान हूं की कब बना, कल शाम को तो नहीं था।

बैंक क्लर्क और कस्टमर चुटकुले - मान लीजिये की आप शमशान के सामने ही मर




बैंक में कस्टमर ने चेक देते हुए पूछा की “मैडम यह कितने दिनों में क्लियर हो जाएगा ”

मैडम : कम से कम 2-3 दिन लगेंगे ....
कस्टमर : लेकिन मैडम इतना टाइम क्यों लगेगा ?
जिस बैंक का चेक मैंने दिया है वह तो सामने वाली बिल्डिंग में ही है !!
मैडम (बड़े ही शांत स्वर में ): सर मैं आपको कैसे समझउँ , प्रोसीजर तो फॉलो करना ही पड़ता है ना....
मान लीजिये की आप शमशान के सामने ही मर जाते हैं तो घर वाले आपकी लाश को घर ले जाएंगे या वहीँ सामने
निपटा देंगे ...........
बोलिए ?
कस्टमर बेहोश !

ल्यो मजो मारवाड़ी चुटकुलों को - मतलब लड़को मारवाड़ी कोनी है।

#1
मारवाड़ी की पत्नी, "म्हने लागे म्हारी छोरी को अफेयर चालु है"।
पति: वो क्यूँ?
पत्नी: "पॉकेट मनी" कोनी माँगे आजकल।
पति: हे भगवान, इं को मतलब लड़को मारवाड़ी कोनी है।





#2
एक मारवाडी भगवान सु अरज करे

हे मारा छतीस करोड देवी देवता
मारे ज्यादा कइ कोनी छावे बस
आप सब मने एक -एक रुपया
री मदद कर दो महारो जीवन
सफल होजाए....

ल्यो मजो मारवाड़ी चुटकुलों को - काल अख़बार म्हें म्हारो फोटू भी तो छपसी

#1
धणी- आज सजधज के कठे जा री से?
लुगाई- आत्महत्या करणे जा री सुं
धणी- तो इत्तो मेकअप क्यूँ करयो है
लुगाई- काल अख़बार म्हें म्हारो फोटू भी तो छपसी



#2
मारवाड़ी की पत्नी, "म्हने लागे म्हारी छोरी को अफेयर चालु है"।
पति: वो क्यूँ?
पत्नी: "पॉकेट मनी" कोनी माँगे आजकल।
पति: हे भगवान, इं को मतलब लड़को मारवाड़ी कोनी है।

ल्यो मजो मारवाड़ी चुटकुलों को

Marwadi Chutkule -

#1
एक मारवाड़ी को एक्सीडेंट हो ग्यो.....
डाक्टर बोल्यो-टांकों लगाणो पड़ेगो
मारवाड़ी- कित्तो पीसो लागेगो?
डाक्टर-2000 रिपया लागसी
मारवाड़ी- अरे !!!
भाया ....टाँकों लगाणों है...एंब्रोईडरी
कोणी करवाणी....


#2
छोरो - आई लव यू 
छोरी - चूप रे गेलसप्पा, एक लेपड मेलियो नी तो सीधो जोधपुर पुगेला😡
छोरो - थोडो धीरे मार जे , नागौर मे थोडो काम हैं।

माँ-बेटे की दर्द भरी कहानी - बड़ा आदमी माँ को छोड़

माँ बेटे की कहानी -


एक औरत थी, जो अंधी थी,
जिसके कारण उसके बेटे को स्कूल के बच्चे चिढाते थे,
कि "अंधी का बेटा" आ गया,
हर बात पर उसे ये शब्द सुनने को मिलता था कि "अन्धी का बेटा" .
इसलिए वो अपनी माँ से चिडता था और उसे कही भी अपने साथ लेकर जाने में हिचकता था।
उसकी माँ ने उसे पढ़ाया-लिखाया और उसे इस लायक बना दिया की वो अपने पैरो पर खड़ा हो सके।
लेकिन जब वो बड़ा आदमी बन गया तो अपनी माँ को छोड़ अलग रहने लगा।

काफी समय बाद एक दिन एक बूढी औरत उसके घर पर आई और गार्ड से बोली - मुझे तुम्हारे साहब से मिलना है जब गार्ड ने अपने मालिक से बोल तो मालिक ने कहा कि बोल दो मै अभी घर पर नही हूँ।
गार्ड ने जब बुढिया से बोला कि वो अभी नही है तो वो वहा से चली गयी, थोड़ी देर बाद जब लड़का अपनी कार से ऑफिस के लिए जा रहा होता है तो देखता है कि सामने बहुत भीड़ लगी है वह गाड़ी रुकवाता यह जानने के लिए जाता है कि वहा क्यों भीड़ लगी है वह वहा गया तो देखा उसकी माँ वहा मरी पड़ी थी।
उसने देखा की उसकी मुट्ठी में कुछ है उसने जब मुट्ठी खोली तो देखा की एक लेटर जिसमे यह लिखा था कि बेटा जब तू छोटा था तो खेलते वक़्त तेरी आँख में सरिया धंस गयी थी और तू अँधा हो गया था तो मैंने तुम्हे अपनी आँखे दे दी थी..
इतना पढ़ कर लड़का जोर-जोर से रोने लगा। 
उसकी माँ उसके पास नही आ सकती थी..
दोस्तों वक़्त रहते ही लोगो की वैल्यू करना सीखो..
माँ-बाप का कर्ज हम कभी नही चूका सकते..

एहसास शायरी हिन्दी मै - दिल भी उदास होता है

#1
कभी कभी दिल भी उदास होता है,
कोई ना जब अपने पास होता है,
आँखें भी कभी नम हो ही जाती हैं,
जब दोस्तों से दूरी का एहसास होता है|


शायरी हिन्दी मै - चाँद का दर्द वो रात नही समझती

#1
अक्श होते हैं पीने के लिए,
जिन्दगी होती है जीने के लिए;
दोस्तों की दोस्ती को भुला न करो वर्ना,
न मिलेगा कोई जख्म सीने के लिए |


#2
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
दिल में क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती…


In Hindi Me - Good Night Shayari | Good Night

Largest Collection good night shayari, good night messages, good night msg, Good Night शुभ रात्री Shubh raatri गुड नाईट शायरी - निंदिया रानी के अंगड़ाई में...

1. Good night msg-

ठण्ड पाँव पसार चुका है गहराई में,
दुबक गये हैं सब अपनी-अपनी रजाई में,
चलो चले एक ऐसी दुनिया, कहते हैं जिसे स्वप्न नगर,
खो जाते हैं निंदिया रानी के अंगड़ाई में |

2. Good night messages -

होंठों पे हमेशा मुस्कान रखना,
दिल को हमेशा जवान रखना,
दर्द तो जिन्दगी का दुसरा नाम है ऐ दोस्त,
पर हमेशा हरपल अपना ध्यान रखना|

3. गुड नाईट शायरी -

मीठी-मीठी यादों को पलकों में सजा लेना,
साथ गुजारे पल को पलकों में बसा लेना,
दिल को फिर भी न मिले सुकून तो,
मुस्कुरा के मुझे अपने सवाप्नो में बुला लेना...

4. Good night shayari -

उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती है,
उसकी प्यारी आँखे हमे दुनिया भुला देती है,
आएगी आज भी वो मेरे स्वप्नों में यारों,
बस यही उम्मीद हमे रोज़ सुला देती है....

Good Night से मिलते जुलते अन्य लेख(Similar Posts):-

    दोस्ती पर शेर - हर दोस्त तो यहाँ कमीना नहीं होता

    #1
    हर शख्स यहाँ पर नगीना नहीं होता,
    दोस्तों के बिना कभी जीना नहीं होता,
    लाखों में कुछ दोस्त याद भी करते हैं,
    हर दोस्त तो यहाँ कमीना नहीं होता |




    #2
    कभी कभी दिल भी उदास होता है,
    कोई ना जब अपने पास होता है,
    आँखें भी कभी नम हो ही जाती हैं,
    जब दोस्तों से दूरी का एहसास होता है|



    दर्द भरी शायरी हिन्दी मेँ

    वक्त थोड़ा है पास मेरे,
    पर बहुत कुछ अभी करना बाकी है।
    वो जख्म जो अपनों ने दिये,
    उसे भी भरना बाकी है।
    तेरी दोस्ती की आदत सी पड़ गयी है मुझे,
    कुछ देर तेरे साथ चलना बाकी है।
    शमसान मैं जलता छोड़ कर मत जाना,
    वरना रूह कहेगी कि रुक जा,
    अभी तेरे यार का दिल जलना बाकी है।



    दिल को छूने वाली शायरी - आज भी हँस कर जीना जानते है हम..

    #1
    ये दोस्ती चिराग है जलाऐ रखना
    ये दोस्ती खुशबु है महकाऐ रखना,
    हम रहें हमेशां आपके दिल में,
    हमेशां इतनी जगह बनाऐ रखना



    #2
    दोस्तों की कमी को पहचानते है हम,
    दुनियाँ के गमों को भी जानते है हम,
    आप जैसे दोस्तों के ही सहारे..
    आज भी हँस कर जीना जानते है हम..



    पागल शायरी - ये जो देती है हमें दुनिया ताने सौ सौ

    #1
    रात चुप हे मगर चाँद खामोस नही ,
    केसे कहु आज फिर होस नही ;
    ऐसे डूबे हे उनकी यादों में की ,
    हाथ में जाम हे पर पिनेका होस नही !



    #2
    "वो जो कहते हैं की पी कर गिरते हो तुम,
    क्या बताएं उन्हें की पी कर ही सँभालते है हम...
    ये जो देती है हमें दुनिया ताने सौ सौ,
    उनसे बचने का ही कुछ एहतराम करते हैं हम..."

    फनी शायरी - funny shayari in hindi - पीछा न किया करो, किसी लडकी

    #1
    पीछा न किया करो, किसी लडकी का यूँ दोस्त..
    के तुम इंसान हो, वोडाफोन के कुत्ते नही...




    #2
    मेरा कहीं कुछ ग़ुम है शायद,
    तुम्हे मिले तो मुझे पता देना,
    अब की बार रखूँगा उसे सहज कर,
    हाथ आये तो फिर नहीं जाने देना....




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    फिर

    अपना राज्य चुनिए,

    फिर

    जिला चुनिए,

    फिर

    तहसील चुनिए,

    फिर

    आगे आपको सब पता है ..



    poojya acharya bal krishan ji maharaj - गला और छाती की बीमारी का इलाज :

    पूरी पोस्ट नहीं पड़ सकते तो निचे दिए गए लिंक में ज विडियो देखे:

    http://www.youtube.com/watch?v=UvDYL7xqFGk

    गला और छाती की बीमारी का इलाज :
    गले में किनती भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अछि दावा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है , गले में खासी है, गले में कफ जमा है, गले में टोनसीलाईटिस हो गया ; ये सब बिमारिओं में आधा चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना , और फिर थोड़ी देर चुप होके बैठ जाना तो ये हल्दी गले में निचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दुबारा डालने की जरुरत नही । ये छोटे बछो को तो जरुर करना ; बछो के टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है न तो हम ऑपरेशन करवाके उनको कटवाते है ; वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।

    गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीमारिया है जैसे खासी ; इसका एक इलाज तो कच्ची हल्दी का रस है जो गले में डालने से तुतंत ठीक हो जाती है चाहे कितनी भी जोर की खासी हो । दूसरी दावा है अदरक , ये जो अदरक है इसका छोटा सा टुकड़ा मुह में रखलो और टफी की तरह चुसो खासी तुतंत बंध हो जाएगी । अगर किसीको खासते खासते चेहरा लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो और उसमे थोड़ा पान का रस मिला लो दोनों एक एक चम्मच और उसमे मिलाना थोड़ा सा गुड या सेहद । अब इसको थोडा गरम करके पी लेना तो जिसको खासते खासते चेहरा लाल पड़ा है उसकी खासी एक मिनट में बंध हो जाएगी । और एक अछि दावा है , अनार का रस गरम करके पियो तो खासी तुरन्त ठीक होती है । काली मिर्च है गोल मिर्च इसको मुह में रख के चबालो , पीछे से गरम पानी पी लो तो खासी बंध हो जाएगी, काली मिर्च को चुसो तो भी खासी बंध हो जाती है ।

    छाती की कुछ बिमारिया जैसे दमा, अस्थमा, ब्रोंकिओल अस्थमा, इन तीनो बीमारी का सबसे अच्छा दवा है गाय मूत्र ; आधा कप गोमूत्र पियो सबेरे का ताजा ताजा तो दमा ठीक होता है, अस्थमा ठीक होता है, ब्रोंकिओल अस्थमा ठीक होता है । और गोमूत्र पिने से टीबी भी ठीक हो जाता है , लगातार पांच छे महीने पीना पड़ता है । दमा अस्थमा का और एक अछि दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेट गुड या सेहद मिलाके गरम पानी के साथ लेने से दमा अस्थमा ठीक कर देती है ।

    MUST CLICK !

    http://www.youtube.com/watch?v=UvDYL7xqFGk


    आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद् 
    वन्देमातरम 
    भारत माता की जय

    acharya bal krishan ji - यूरोप के देशों में बेबी पावडर को बेबी किलर कहते हैं

    बेबी (मिल्क) पावडर




    हमारे देश में एक अमेरिकी कंपनी है - नेस्ले , नेस्ले बेबी पावडर (डब्बे का दूध) बेचती है | यूरोप के देशों में बेबी पावडर बिकता नहीं, यूरोप के देशों में बेबी पावडर को बेबी किलर कहते हैं | मैंने यूरोप के कई देशों में देखा है, बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगे रहते हैं और सरकार की तरफ से उन होर्डिंगों पर प्रचार किया जाता है कि "आप अपने बच्चे को बेबी पावडर मत खिलाईये" | क्यों ? क्योंकि इसमें जहर है, तो पुरे यूरोप में ये जो बेबी पावडर "बेबी किलर" कहा जाता है वही बेबी पावडर धड़ल्ले से भारत के बाजार में बिक रहा है और बहुत वर्षों तक इस देश में जो बेबी पावडर बिकता था, उसके डब्बे पर कुछ भी लिखा नहीं होता था, जब कुछ अच्छे लोगों ने इस मुद्दे को उठाया, हमारे जैसे विचार वाले कुछ डोक्टरों ने संसद पर दबाव बनाया तब भारत की सरकार ने सिर्फ इतना सा संसोधन कर दिया कि "कंपनियों को बेबी पावडर के डब्बे पर ये लिखना आवश्यक होगा कि माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है", बस बात ख़त्म | होता ये कि भारत सरकार इन डब्बे के दूध को भारत में प्रतिबंधित कर देती, लेकिन नहीं |

    और भारत की पढ़ी-लिखी माताओं की हालत भी कुछ वैसी ही है, जो जितनी ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं वो उतना ही ज्यादा बेबी पावडर पिलाती हैं अपने बच्चों को | कभी-कभी तो मुझे ये लगता है कि जैसे भारत में जब से बेबी पावडर आया है तभी से बच्चे जवान हो रहे हैं, बिना बेबी पावडर के तो लोग बड़े ही नहीं हुए होंगे इस देश में ? कुछ ऐसा ही माहौल बनाया गया है इस देश में पिछले कुछ वर्षों से, और विरोधाभास क्या है इस देश में कि बाजार में बेबी पावडर भी बिक रहा है और "माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है" इस विषय पर सेमिनार भी आयोजित किये जाते हैं, करोड़ो रूपये खर्च कर के | सीधा ये नहीं करते कि बेबी पावडर को प्रतिबंधित कर दे इस देश में | जिनको समझना चाहिए कि "माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है" वो सेमिनार में आते नहीं और जिनको ये समझ है वो कोई कैम्पेन चलाते नहीं, ये इस देश का दुर्भाग्य है |

    जय हिन्द
    राजीव दीक्षित

    आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद् 
    वन्देमातरम 
    भारत माता की जय

    साथ-साथ इसे पढ़े ------
    http://www.babymilkaction.org/pages/ history.html

    poojya acharya balkrishna ji - डॉक्टर बहुत कहते है अन्डे में प्रोटीन है पर सबसे जादा प्रोटीन तो उड़द की दाल में है , फिर चने की

    डॉक्टर बहुत कहते है के अन्डे खाना बहुत आवश्यक है और उनका हिसाब किताब प्रोटीन वाला है !





    ...प्रोटीन इसमें ज्यादा है विटामिन A ज्यादा है । हमारे डॉक्टर जो पढाई करते है जैसे MBBS , MS, MD ये पूरी पढाई से आई है मने यूरोप से आयें हैं और यूरोप में जो लोग होंगे उनके पास मांस और अन्डे के इलावा और कुछ नही होगा । तो उनकी जो पुस्तके है उनमे वो ही लिखा जायेगा जो वहाँ उपलब्ध है । और यूरोप में पूरा इलाका बहुत ठंडा है !6 महीने बर्फ पड़ी रहती है ! सब्जी होती नही , दाल होती नही हैं ! पर अंडा बहुत मिलता है कियोंकि मुर्गियां बहुत है ।

    अब हमारे देश में भी वो ही चिकित्सा पढ़ा रहे है क्यूंकि आजादी के 67 साल बाद भी कोई कानून बदला नहीं गया ! पर उस चिकित्सा को हमने हमारे देश की जरुरत के हिसाब से बदल नही किया मने उन पुस्तकों में बदवाल होना चाहिए , उसमे लिखा होना चाहिए भारत में अन्डे की जरुरत नही है कियोंकि भारत में अन्डे का बिकल्प बहुत कुछ है । पर ये बदवाल हुआ नही और डॉक्टर वो पुस्तक पढ़ कर निकलते है और बोलते रहते है अन्डे खाओ मांस खाओ । आयुर्वेद की पढाई पढ़ कर जो डॉक्टर निकलते है वो कभी नही कहते के अन्डे खाओ । अन्डे में प्रोटीन है पर सबसे जादा प्रोटीन तो उड़द की दाल में है , फिर चने की डाल , मसूर की डाल ; अन्डे में विटामिन A हैं पर उससे ज्यादा दूध में है ।

    निचे दिए गए लिंक पे जाके विडियो देखे :
    http://www.youtube.com/watch?v=nXaQ0JS5iIs




    आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद्
    वन्देमातरम
    भारत माता की जय

    acharya bal krishan maharaj - समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है

    पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करें !!

    http://www.youtube.com/watch?v=BzId8OHnNA0

    पहले तो आप ये जान लीजिये कि नमक के मुख्य कितने प्रकार होते हैं !!
    एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock slat) !!

    ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ! मात्र 2,3 रूपये किलो मे सब जगह मिल जाया करता था !

    फिर अचानक से ऐसा क्या हुआ की लोग आओडीन युक्त समुद्री नमक खाने लगे ??

    हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो(अनपूर्णा,कैपटन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ ,आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है ! ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई !! और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था ! उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो ! और आज तो 12 रूपये को भी पार कर गया है !

    एक बार राजीव भाई ने किसी MP के माध्यम से संसद मे सवाल पुछवाया कि पूरे देश मे आओडीन की कमी से जितनी बीमारियाँ आती है जैसे घेंघा ! उसके मरीज कितने है ? पूरे देश मे ! तो सरकार की तरफ से उत्तर आया कि भारत मे कुल जितनी बीमारियो के कुल मरीज है उसमे से सिर्फ 0.3 % घेंघा के मरीज है ! और वो भी कहाँ है भारत मे पर्वतीय इलाके मे जहां भारत की सबसे कम आबादी रहती है ! ऐसे ही राजीव भाई ने एक बार सरकार को पत्र लिखा की मुझे उन मरीजो की सूची चाहिए जिनको आओडीन की कमी से घेंगा हुआ ! सूची कभी नहीं आई !!

    अब जो सबसे अजीब बात है वो ये कि आओडीन हर नमक मे होता है बिना आओडीन का कोई नमक नहीं होता है !! अब आप कहेंगे फिर इस समुद्री नमक से क्या परेशानी है ??

    एक तो जैसा हमने ऊपर बताया कि आयुर्वेद के अनुसार समुद्री नमक अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है इसके अतिरिक्त कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है !! अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है ! दूसरा होता है industrial iodine ! ये बहुत ही खतरनाक है ! तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है ! जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है ! ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है !

    ।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़,आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ! जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है ! ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ! और ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है ! श्री राजीव बताते है कि उन्होने कितने मरीज जो नपुंसक थे उनको समुद्री नमक छोड़ने को कहा और सेंधा नमक का प्रयोग करने को कहा मात्र 1 वर्ष मे उनकी समस्या का हल हो गया !



    ऐसे ही एक बार राजीव भाई के गुरु थे जिनका नाम था प्रोफेसर धर्मपाल जी ! उनको एक बार लकवे (paralysis) का अटैक आ गया !! उनकी आवाज तक चली गई और हाथ पैर एक जगह रुक गए उनके बाकी शिष्य धर्मपाल जी को अस्पताल ले गए वहाँ डाक्टरों से भी कुछ नहीं हुआ तो डाक्टरों उनके हाथ पैर बांध दिये ! राजीव भाई को जैसे ही खबर मिली राजीव वहाँ पहुंचे और उनको वहाँ से उठा कर घर ले आए ! और उनकी दो होमेओपेथी दवाइयाँ देना शुरू की ! मात्र 3 दिन मे उनकी आवाज वापिस आ गई ! और एक सप्ताह बाद वो ऐसे दिखने लगे कि मानो कभी अटैक ही ना आया हो !
    तो राजीव भाई बताते है कि मैंने होमेओपेथी मे उस दवा को दिया जो सेंधा नमक ना खाने से शरीर मे आने वाली कमियो को पूरा करती है !! इसकी जगह अगर सेंधा नमक वाला भी पिलाता तो वो ठीक हो जाते लेकिन उनकी हालत ऐसे थी की मात्र दवा की बूंध ही अंदर जा सकती थी तो राजीव भाई ने वो पिलाया और धर्मपाल जी ठीक हुये !!

    कुल मिलकर कहने का अर्थ यही है कि आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आओडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आओडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।

    सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है ।! क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline ) !! क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है ! और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ! ये नामक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है ! और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है ! तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??

    इसके अतिरिक्त सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis ) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है ! जबकि समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है ! राजीव भाई तो यहाँ तक कहते है कि अगर आपके 2 बच्चे है तो एक बच्चे को 11 साल तक समुद्री नमक पर पाल के देखो और दूसरे को सेंधा नमक पर !! उनके शारीरिक और मानसिक परिवर्तन देख आपको खुद पर खुद अंदाजा हो जाएगा ! कि ये समुद्री नमक कितना हानिकारक है और सेंधा कितना फायदेमंद !

    दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , यही बेचा जा रहा है डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया ! और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे !! वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया !

    अंत आपके मन मे एक और सवाल आ सकता है कि ये सेंधा नमक बनता कैसे है ??

    तो उत्तर ये है कि सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है !! पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' ,लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है ! जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है ! मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !! क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है !! और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !!

    आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!

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    अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय !



    poojya acharya bal krishan - बिच्छू काटने पर चिकित्सा - Silicea 200 इसका लिकुइड 5 ml घर में रखे

    बिच्छू काटने पर चिकित्सा : अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:


    http://www.youtube.com/watch?v=N4iEd5Ku9lQ

    बिच्छू काटने पर बहुत दर्द होता है जिसको बिच्छू काटता है उसके सिवा और कोई जान नही सकता कितना भयंकर कष्ट होता है। तो बिच्छू काटने पर एक दावा है उसका नाम है Silicea 200 इसका लिकुइड 5 ml घर में रखे । बिच्छू काटने पर इस दावा को जीभ पर एक एक ड्रोप 10-10 मिनट अंतर पर तिन बार देना है । बिच्छू जब काटता है तो उसका जो डंक है न उसको अन्दर छोड़ देता है वोही दर्द करता है । इस डंक को बाहर निकलना आसान काम नही है, डॉक्टर के पास जायेंगे वो काट करेगा चीरा लगायेगा फिर खिंच के निकालेगा उसमे उसमे ब्लीडिंग भी होगी तकलीफ भी होगी । ये मेडिसिन इतनी बेहतरीन मेडिसिन है के आप इसके तिन डोस देंगे 10-10 मिनट पर एक एक बूंद और आप देखेंगे वो डंक अपने आप निकल कर बाहर आ जायेगा। सिर्फ तिन डोस में आधे घन्टे में आप रोगी को ठीक कर सकते है। बहुत जबरदस्त मेडिसिन है ये Silicea 200. और ये मेडिसिन मिट्टी से बनती है,वो नदी कि मिट्टी होती है न जिसमे थोड़ी बालू रहती है उसी से ये मेडिसिन बनती है ।

    इस मेडिसिन को और भी बहुत सारी काम में आती है । अगर आप सिलाई मशीन में काम करती है तो कभी कभी सुई चुव जाती है और अन्दर टूट जाती है उस समय भी आप ये मेडिसिन ले लीजिये ये सुई को भी बाहर निकाल देगा। आप इस मेडिसिन को और भी कई केसेस में व्यवहार कर सकते है जैसे कांटा लग गया हो , कांच घुस गया हो, ततैया ने काट लिया हो, मधुमखी ने काट लिया हो ये सब जो काटने वाले अन्दर जो छोड़ देते है वो सब के लिए आप इसको ले सकते है । बहुत तेज दर्द निवारक है और जो कुछ अन्दर छुटा हुआ है उसको बाहर निकलने की मेडिसिन है ।
    बहुत सस्ता मेडिसिन है 5 ml सिर्फ 10 रूपए की आती है इससे आप कम से कम 50 से 100 लोगों का भला कर सकते है ।

    वन्देमातरम्

    गाली वाली शायरी - Tumhari delivery report aa jati hai

    #1 गाली वाली शायरी -

    Tumhare saath kya masla hai?
    Har wakt pregnent rehte ho,
    Jab bhi tumhain sms karta hu,
    tumhari delivery report aa jati hai.




    #2 Gaali Shayari -

    हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे...
    वाह वाह...
    हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे,
    वो घर जाने वाली थी कि हम फिर से मुस्कुरा बैठे..!!


    #3 Double meaning jokes Hindi -

    Guruji:-Bachhon kabir ka koi ek doha sunao!

    Baccha:-
    'Ganga ji ke ghat pe, Ghatna ghati gambhir!
    Raheem le gayo Rajiya k puppy, Fas gayo sant KABIR'


    #4 Pati Patni double meaning jokes in Hindi -

    Divorse ke baad husband:
    "bacha mera hai"
    Wife: wah ji wah!
    baratan mera,dudh mera thodasa nimbu kya nichod diya, pura panir tera....chal nikal.


    #5 Gali Shayari -

    तुम आरजू तो करो मोहब्बत की, हम इतने भी गरीब नहीं कि...
    तुम आरजू तो करो मोहब्बत की, हम इतने भी गरीब नहीं कि…
    कमरे का जुगाड़ भी ना कर सकें!

    #6 Gali wali shayari -

    Ishq k sahare jiya nahi karte,
    Gum k pyalo ko piya nahi karte,
    kuch Dost bhos#i k aise bhi hote hai...
    Jinke jab tak ungli na karo, yaad bhi nahi karte hai...


    #7 Double meaning shayari in Hindi -

    मांगता हूँ तो देती नहीं, जवाब मेरी बात का...
    और देती हो तो खड़ा हो जाता है, रोम-रोम जज्बात का...
    मूह में लेना तुम्हे पसंद नहीं, एक भी कतरा शराब का...
    फिर क्यूँ बोलती हो के धीरे से डालो, बालों में फूल गुलाब का...
    वोह सोती रही में करता रहा, इंतज़ार उसके जवाब का...
    अभी उसके हाथ में रखा ही था के उसने पकड़ लिया, गुलदस्ता गुलाब का...
    उसने कहा पीछे से नहीं आगे से करो, गुणगान मेरे हुस्न का...
    उसने कहा बड़ा मज़ा आता है जब अन्दर जाता है, कानो में एक-एक लफ्ज़ तेरे प्यार का..!@!


    #8 गरमा गरम शायरी -


    अर्ज़ किया है:
    उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो,
    उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो,
    वाह! वाह!
    पैंटी ना पहनो कोई बात नहीं, कम से कम बगीचा तो साफ़ रखो..!@!

    #9  कंडोम शायरी -



    रात होगी तो कंडोम भी दुहाई देगा,
    टांगो के बीच सारा जहां दिखाई देगा,
    ये काम है जानी, जरा संभलकर करना,
    एक कतरा भी गिरा तो 9 महीने बाद सुनाई देगा..!@!

    #10 सेक्सी शायरी -

    ये काली-काली आँखें, ये गोरे-गोरे गाल,
    ये काली-काली आँखें, ये गोरे-गोरे गाल,
    और बताओ कैसे हो? *डे के बाल..!@!

    #11 गंदी शायरी -

    अर्ज़ किया है...
    रजवाड़े में उड़ रहे हैं घोड़े,
    रजवाड़े में उड़ रहे हैं घोड़े,
    ध्यान से क्या पढ़ रहा है बे *ड़े,
    कभी देखा है क्या उड़ते हुए घोड़े..!@!


    #12 Ganda Gaali Wali Shayari-

    मोहब्बत करनी है तो आराम से करो ए दोस्तो,
    क्योंकि अक्सर लोग इश्क़ के जोश में आकर टोपा सुजा लेते हैं..!@!

    #13 Gali Shayari For Friend -

    तू चाँद है शरमाया ना कर,
    फूल से चेहरे को मुरझाया ना कर,
    जब तक हम ज़िंदा है तेरे यार बन कर,
    दुसरो से *G* मरवाया ना कर..!@!


    #14 Funny Non Veg Adult Shayari -

    रंग न देखो *L* का, चु*ई पे दीजो ध्यान।
    मोल करो तलवार का, फटी रहन दो म्यान..!@!

    #15 Adult Shayari For Girls -

    तोड़ दो ना वो कसम, जो खाई है,
    .
    .
    कभी कभी चू* देने में क्या बुराई हैं..!@!

    #16 Sexy Shayari -

    ये हकीकत  बहुत पुरानी  है,
    चुt  मोहब्बत की राजधानी  है..!@!

    #17 Non Veg Shayari -

    चाहो तो दिल से हमको मिटा देना,
    चाहो तो हमको भुला देना,
    हमारी याद आए तो कभी रोना नही,
    बस चु* में उंगली डालके हिला लेना..!@!

    #18 एडल्ट शायरी हिंदी में -

    बिकता है गम हुस्न के बाज़ार मे,
    धोखे ही धोखे है हरतरफ प्यार में, फिर भी
    कमी नहीं आ रही है चु*ई की रफ़्तार में..!@!

    #19 Ashleel gyan -

    तुम सब कितना भी पढ लीख लो..
    लेकिन एक बात हमेशा याद रखना दोस्तों की...
    "चो*ते समय कोई डिग्री काम नही आती है"..!@!

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    GIRL : Nhi,

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    मुझे कैसे पता चल सकता है की मेरा बेटा भविष्य में क्या बनेगा ?



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    दर्द क्या होता है बताएँगे किसी रोज़....


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    लड़की :- चल दफा हो उल्लू के पठे...
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    प्यार में गहराही देखिये....इंसानों की....



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    एक मुर्गी ने बाज से शादी कर ली।
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    बाद में ऑफिसर दुसरे सिपाई से पूछा : तुम्हारे हाथमे ये क्या है ?
    दूसरा सिपाही : सर, ये उसकी की माँ है और हमारी आंटी है |





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    Funny Shayari in hindi फनी शायरी

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    पापा पापा शादी करनी है,
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    Papa Papa Mujhe Shadi Karni Hai
    Beta thoda intezar karo kyonki
    Dulha Abhi SMS Read Kar Rahi hai....


    शायरी हिन्दी मै - जिसने निशां आसुंओं का मिटाया था, अधूरी सी है

    जब मैं हसा था, कौन मेरे साथ मुस्कुराया था ?

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    या यह है मेरा दोस्त जिसने निशां आसुंओं का मिटाया था, अधूरी सी है …



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    ज़िन्दगी का येही तराना है

    ज़िन्दगी का येही तराना है
    गम उठाना है मुस्कराना है
    रोप तेरा बड़ा सुहाना है
    तुझ पे कुर्बान ये जामन है
    किस क़दर प्यार मेरा सच्चा है
    आज दिलबर को आज़माना है
    तुझ को पाऊ या तेरा हो जाओं
    ज़िन्दगी का येही फ़साना है
    इस तरह से न मुस्कुराया करो
    जान लेवा ये मुस्कुराना है
    आर्जि है ये दुनिया ए लोगों
    हर किसी को यहाँ से जाना है
    आरजू है येही मेरी दुश्मन को भी दोस्त बनाना है|........


    विदेशी कंपनियाँ हमे सिर्फ मुर्ख समझती है

    कोलगेट 1995 मे :- साधारण पेस्ट मे नमक होता है
    जो दातों को खराब कर देता है .. इस्तेमाल कीजिये साल्ट फ्री कोलगेट |

    वही कोलगेट 2013 मे :- क्या आपके टूथपेस्ट मे नमक है ? कोलगेट एक्टिव साल्ट मे नमक है |
    सच मे ये सब विदेशी कंपनियाँ हमे सिर्फ मुर्ख समझती है |

    _____________________________________
    colgate कंपनी का पूरा इतिहास जानना है तो ये पूरी post पढ़ें !

    पूरी पोस्ट नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करे !!


    http://www.youtube.com/watch?v=hBXx2ROlCBg

    मित्रो हम लोग ब्रश करते हैं तो पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं, कोलगेट, पेप्सोडेंट, क्लोज-अप, सिबाका, फोरहंस आदि का, क्योंकि वो साँस की बदबू दूर करता है, दांतों की सड़न दूर करता है, ऐसा कहा जाता है प्रचारों में | अब आप सोचिये कि जब कोलगेट नहीं था, तब सब के दांत सड़ जाते थे होंगे ? और सब के सांस से बदबू आती होगी ? अब आपके दादा - दादी के जमाने मे तो colgate होता नहीं था तो दादा दादी साथ बैठते थे या नहीं ???

    तब आपको जवाब मिलेगा पहले सभी नीम का दातुन करते थे ! अभी कुछ सालों से टेलीविजन ने कहना शुरू कर दिया कि भाई कोलगेट रगड़ो तो हमने कोलगेट चालू कर दिया | अब जो नीम का दातुन करते हैं तो उनको तथाकथित पढ़े-लिखे लोग बेवकूफ मानते हैं और खुद कोलगेट इस्तेमाल करते हैं तो अपने को बुद्धिमान मानते हैं, जब कि है उल्टा | जो नीम का दातुन करते हैं वो सबसे ज्यादा बुद्धिमान हैं और जो कोलगेट का प्रयोग करते हैं वो सबसे बड़े मुर्ख हैं |

    कोलगेट बनता कैसे हैं, आपको मालूम है? किसी को नहीं मालूम, क्योंकि कोलगेट कंपनी कभी बताती नहीं है कि उसने इस पेस्ट को बनाया कैसे ? कोलगेट का पेस्ट दुनिया का सबसे घटिया पेस्ट है, क्यों ? क्योंकि ये जानवरों के हड्डियों के चूरे से बनता है | paste के डिब्बे के ऊपर साफ साफ लिखा होता है dicalcium phosphate !! और ये dicalcium phosphate तो सब जानते है जानवरो की हड्डियों को bone crusher machine मे पीसा जाता है और फिर उससे dicalcium phosphate बनता है !
    यहाँ click कर देखे !

    http://youtu.be/hBXx2ROlCBg

    जानवरों के हड्डियों के चूरे के साथ-साथ इसमें एक और खतरनाक चीज मिलाई जाती है, वो है fluoride (फ्लोराइड) | फ्लोराइड नाम उस जहर का है जो शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी करता है और भारत के पानी में पहले से ही ज्यादा फ्लोराइड है | और कोई भी toothpaste जिसमे fluoride होता है और 1000 ppm से ज्यादा होता तो है तो वो toothpaste toothpaste नहीं रहता जहर हो जाता है !
    अब ये बात मैं अगर कोर्ट मे जाकर बोलूँगा तो कोर्ट मेरी बात मानेगा नहीं ! वो पूछेगा आपके पास दाँतो की डाक्टरी का certificate है क्या ??? जबकि मुझे मालूम है कि 1000 ppm से ज्यादा fluoride है किसी toothpaste मे तो वो जहर है ! मतलब इस देश का कानून इतना घटिया है ! कि कोर्ट मेरी बात तब मानेगा जब मेरी पास दाँतो की डाक्टरी की डिग्री होगी और इसके लिए dentist होना पड़ेगा !! और जिनके पास दाँतो की डाक्टरी की डिग्री है वो कोर्ट मे जा नहीं रहे ! और जिनके पास दाँतो की डाक्टरी की डिग्री नहीं है वो मेरे जैसे बाहर बैठे खिसया(गुस्सा) रहे है ! और धड्ड्ले से इस देश मे colgate बिक रहा है !

    अक्सर मैं लोगो से पूछता हूँ कि आप colgate क्यूँ करते हैं ??? तो वो कहते है इसमे quality बहुत है ! तो मैं पूछता हूँ अच्छा क्या quality है ?? तो वो कहते है कि इसमे झाग बहुत बनता है तो मैं कहता हूँ भाई झाग तो RIN मे भी बहुत बनता है ! झाग तो AIRL मे भी बहुत बनता है ! और झाग तो shaving cream मे सबसे ज्यादा बनता है तो उसी से दाँत साफ कर लिया करो अगर झाग ही चाहिए आपको ! ये पढे लिखे मूर्खो के उत्तर है ! बिना पढ़ा लिखा आदमी कभी ऐसा जवाब नहीं देता ! और ये जवाब पता मुझे कहाँ मिला ! दिल्ली university मे मैं भाषण कर रहा था department of mathematics मे !
    वहाँ के प्रोफेसर ने उत्तर दिया कि colgate मे बहुत बढ़िया quality है झाग बहुत बनता है ! तो मैंने कहा प्रोफेसर साहब आप dental cream से दाँत क्यूँ नहीं साफ करते ?? airl से दाँत क्यूँ नहीं साफ करते shaving cream से दाँत क्यूँ नहीं साफ करते ??? सबसे ज्यादा झाग तो उसी मे बनता है ! तो प्रोफेसर एक दम चुप हो गया !!

    तो बोला अच्छा आप ही बताओ quality क्या होती है ?? तो मैंने कहा प्रोफेसर साहब आप mathematics के प्रोफेसर होकर ये नहीं जानते कि quality क्या होती है ? तो क्यूँ ? चिलाते हैं quality होती है ! आप सीधा कहो हमे नहीं पता quality क्या होती है हम तो tv मे विज्ञापन देख कर बस घर उठा लाते हैं ! तो मैंने उनका उनको कहा कि colgate tooth paste बनता किस्से है उसकी quality क्या है ये समझने की जरूरत है !! तो वो mathematics के थे थोड़ा chemistry भी जानते थे ! तो मैंने कहा chemistry मे एक कैमिकल होता है जिसका नाम है Sodium Lauryl Sulphate | उससे colgate बनता है ! क्यूंकि Sodium Lauryl Sulphate डाले बिना किसी भी toothpaste मे झाग पैदा नहीं हो सकता !
    आप मे से थोड़े भी chemistry पढे लिखे लोग है तो Sodium Lauryl Sulphate के बारे मे chemistry की dictionary मे आप देख लीजिये ! उसके सामने लिखा हुआ है poison (जहर) है ! 0.05 मिलीग्राम मात्रा मे शरीर मे चला जाये ! तो cancer कर देता है ! और ये colgate ,closeup pepsodent , मे भरपूर मात्रा मे मिलाया जाता है !
    धर्म के हिसाब से भी पेस्ट सबसे ख़राब है | सभी पेस्टों में मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ मिलायी जाती है | ये कोई भी जानवर हो सकता है, मैं इशारों में आपको बता रहा हूँ और आप अगर शाकाहारी है या जैन धर्म को मानने वाले हैं तो क्यों अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं | मेरे पास हर कंपनी की लेबोरेटरी रिपोर्ट है कि कौन कंपनी कौन से जानवर की हड्डी मिलाती है और ये प्रयोगशाला में प्रयोग करने के बाद प्रमाणित होने के बाद आपको बता रहे हैं हम |

    और ये कोलगेट नाम का पेस्ट बिक रहा है Indian Dental Association के प्रमाण से | मुझे जरा बताइए कि कब इस संगठन ने कोई बैठक किया और कोलगेट के ऊपर प्रस्ताव पारित किया कि "हम कोलगेट को प्रमाणित करते हैं कि ये भारत में बिकना चाहिए" लेकिन कोलगेट भारत में बिक रहा है IDA का नाम बेच कर | "IDA" लिखा रहता है Upper Case में और मोटे अक्षरों में, और "Accepted" लिखा होता है छोटे अक्षर में | यहाँ भी धोखा है, ये "accepted" लिखते हैं ना कि "certified" | मुझे तो आश्चर्य होता है कि भारत में दाँतों के डॉक्टर इसका विरोध क्यों नहीं करते, कोई डेंटिस्ट खड़ा हो कर इस झूठ को झूठ क्यों नहीं कहता, क्यों नहीं वो कोर्ट में केस करता |

    आपको एक और जानकारी देता हूँ | ये colgate कंपनी जब अपने देश अमेरिका मे toothpaste बेचती है ! तो उस पर चेतावनी (Warning) लिखी होती है | जैसे हमारे देश मे सिगरेट पर लिखा जाता है न सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है !! ऐसी ही वहाँ colgate पर लिखा जाता है !
    लिखते अंग्रेजी में हैं, मैं आपको हिंदी में बताता हूँ, उस पर क्या लिखते हैं !

    "please keep out this Colgate from the reach of the children below 6 years
    _________________________________________________________-
    " मतलब "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/उसको मत दीजिये", क्यों? क्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं, और उसमे कैंसर करने वाला केमिकल है, इसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट | (और हमारे यहाँ छोटे छोटे बच्चो से ये कंपनी विज्ञापन करवाती है !)

    और आगे लिखते हैं "

    In case of accidental ingestion , please contact nearest poison control center immediately
    ___________________________________________________________________
    , मतलब "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक है, और तीसरी बात वो लिखते हैं "

    If you are an adult then take this paste on your brush in pea size
    ___________________________________________________
    " मतलब क्या है कि " अगर आप व्यस्क हैं /उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" | और आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते हैं | और जानबूझ बच्चो से विज्ञापन करवाया जाता है !! और ये अमेरीकन कंपनिया की चाल बाज है !! 1991 ये टीवी पर विज्ञापन दिखाते थे ! आम toothpaste में होता है नमक !! लीजिये colgate saltfree ! और अब बोलते है !! क्या आपके toothpaste मे नमक है ??
    2-3 माहीने के बाद लेकर आ गए ! colgate max fresh !!
    2-3 महीने ये बेच कर लोगो को बेवकूफ बनाया !! फिर नाम बदल कर ले आये ! colgate sensitive ! इसे अपने sensitive दाँतो आर मसाज करे !!
    और विज्ञापन ऐसा दिखाते हैं !! जैसे ये कोई सच मे सर्वे कर रहे हैं !! हमारे दिमाग मे एक मिनट के लिए भी नहीं आता ! कि कंपनी ने विज्ञापन देने ए लिए लाखो रुपए खर्च किए है ! तो वो तो अपने जहर को बढ़िया ही बताने वाले हैं !
    2-3 महीने इस नाम से बेचा अब नाम बदल कर रख दिया है ! colgate anti cavity !! थोड़े दिन इसको बेचेंगे फिर नाम बदल देंगे !!
    !
    हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "warning" नहीं होती जो ये कंपनी अपने देश अमेरिका मे लिखती है हमारे देश मे उसके जगह "Directions for use" लिखा होता है, और वो बात, जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते | और कोलगेट के डिब्बे पर ISI का निशान भी नहीं होता , इसको Agmark भी नहीं मिला है, क्योंकि ये सबसे रद्दी क्वालिटी का होता है | जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते, अब क्यों होता है ऐसा ये आपके मंथन के लिए छोड़ता हूँ और निर्णय भी आप ही को करना है |

    यहाँ मैं भारत में कार्यरत कोलगेट कंपनी का एक पत्र भी डाल रहा हूँ जो भाई राकेश जी के इस प्रश्न के उत्तर में था कि "अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर जो चेतावनी आपकी कंपनी छापती है, वो भारत में उपलब्ध अपने पेस्ट के ऊपर क्यों नहीं छापती"| तो उनका (कंपनी का) उत्तर कितने छिछले स्तर का था ये देखिये...................
    From: <consumeraffairs_india@ colpal.com>
    Date: Tue, May 31, 2011 at 6:04 PM
    Subject: In response to your Colgate communication #022844460A
    To: prakriti.pune@gmail.com

    May 31, 2011

    Ref: 022844460A

    Mr. Rakesh Chandra Rakesh
    B 13 Everest Heights Behind Joggers
    Near Khalsa Dairy
    Viman Nagar
    Pune 411014
    Maharashtra
    India

    Dear Mr. Rakesh,

    Thank you for contacting Colgate-Palmolive (India) Limited.

    "The labelling requirements of cosmetic preparations like toothpaste in India are governed by the drugs and cosmetics regulations. We are fully complying with those regulations.In addition, we have incorporated an additional direction (i.e. Dentists recommend parents supervise brushing with a pea-size amount of toothpaste, discourage swallowing and ensure children spit and rinse afterwards) with a view to guiding the parents of children under 6 years of age using toothpaste."

    We greatly value your patronage of Colgate-Palmolive products.

    Regards,

    COLGATE PALMOLIVE (INDIA) LIMITED

    Abilio Dias
    Consumer Affairs
    Communications
    http://www.natural-health-information-centre.com/sodium-lauryl-sulfate.html

    और
    http://www.fluoridealert.org/issues/dental-products/toothpastes/

    इन दोनों लिंक को समय निकाल कर पढने का कष्ट करेंगे तो आपके लिए अच्छा होगा | आप जिस भी पेस्ट के INGREDIENT में इस केमिकल का नाम देखिये तो उसे कृपा कर के इस्तेमाल मत कीजिये, अपना नहीं तो अपने बीवी-बच्चो का तो ख्याल कीजिये, अगर शादी नहीं हुई है तो अपने माता-पिता का ख्याल तो कीजिये |

    विकल्प (पेसट नहीं करे तो क्या करें ??)

    यहाँ मैं महर्षि वाग्भट (3000 साल पहले भारत मे हुये एक sant 135 वर्ष कि उम्र तक जिये )के अष्टांग हृदयम का कुछ हिस्सा जोड़ता हूँ, जिसमे वो कहते हैं कि दातुन कीजिये |
    दातुन कैसा ? तो जो स्वाद में कसाय हो, कसाय समझते हैं आप ? कसाय मतलब कड़वा और नीम का दातुन कड़वा ही होता है और इसीलिए उन्होंने नीम के दातुन की बड़ाई (प्रसंशा) की है |एक दूसरा दातुन बताया है, वो है मदार का, उसके बाद अन्य दातुन के बारे में उन्होंने बताया है जिसमे बबूल है, अर्जुन है, आम है, अमरुद है, जामुन है, ऐसे 12 वृक्षों का नाम उन्होंने बताया है जिनके दातुन आप कर सकते हैं |

    चैत्र माह से शुरू कर के गर्मी भर नीम, मदार या बबूल का दातुन करने के लिए उन्होंने बताया है, सर्दियों में उन्होंने अमरुद या जामुन का दातुन करने को बताया है , बरसात के लिए उन्होंने आम या अर्जुन का दातुन करने को बताया है | आप चाहें तो सालों भर नीम का दातुन इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन उसमे बस एक बात का रखे कि तीन महीने लगातार करने के बाद इस नीम के दातुन को 20 दिन का विश्राम दे | इस अवधि में मंजन कर ले | दन्त मंजन बनाने की आसान विधि उन्होंने बताई है, वो कहते हैं कि आपके स्थान पर उपलब्ध खाने का तेल (सरसों का तेल. नारियल का तेल, या जो भी तेल आप खाने में इस्तेमाल करते हों, रिफाइन छोड़ कर ), उपलब्ध लवण मतलब नमक और हल्दी मिलाकर आप मंजन बनाये और उसका प्रयोग करे | दातुन जब भारत के सबसे बड़े शहर मुंबई में मिल जाता है तो भारत का ऐसा कोई भी शहर नहीं होगा जहाँ ये नहीं मिले |

    ____________

    जाते जाते एक अंतिम बात !

    जब यूरोप में घुमा करता था तो एक बात पता चली कि यूरोप के लोगों के दाँत सबसे ज्यादा ख़राब हैं, सबसे गंदे दाँत दुनिया में किसी के हैं तो यूरोप के लोगों के हैं और वहां क्या है कि हर दूसरा-तीसरा आदमी दाँतों का मरीज है और सबसे ज्यादा संख्या उनके यहाँ दाँतों के डाक्टरों की ही है, अमेरिका में भी यही हाल है | वहां एक डाक्टर मुझे मिले, नाम था डाक्टर जुकर्शन, मैंने पूछा कि "आपके यहाँ दाँतों के इतने मरीज क्यों हैं? और दाँतों के इतने ज्यादा डाक्टर क्यों हैं ?" तो उन्होंने बताया कि "हम दाँतों के मरीज इसलिए हैं कि हम पेस्ट रगड़ते हैं " तो मैंने कहा कि "तो क्या रगड़ना चाहिए?", तो उन्होंने कहा कि "वो हमारे यहाँ नहीं होती, तुम्हारे यहाँ होती है " तो फिर मैंने कहा कि "वो क्या?", तो उन्होंने बताया कि "नीम का दातुन" | तो मैंने कहा कि "आप क्या इस्तेमाल करते हैं?" तो उन्होंने कहा कि "नीम का दातुन और वो तुम्हारे यहाँ से आता है मेरे लिए " | यूरोप में लोग नीम के दातुन का महत्व समझते हैं और हम प्रचार देख कर "कोलगेट का सुरक्षा चक्र" अपना रहे हैं, हमसे बड़ा मुर्ख कौन होगा | और अमेरिका ने नीम पर patent ले लिया है !
    इस देश के लोग हर साल 1000 करोड़ का tooth paste का जहर मुंह मे घूमा कर पैसा विदेशी कंपनी को दे देते हैं ! और यहाँ अगर आप नीम का दातुन करे तो ये 1000 हजार करोड़ देश के गरीब लोगो को जाएगा !! किसानो को जाएगा जो बेचारे चौराहो पर बैठ कर नीम का दातुन बेचते हैं !!

    अब आप कहेंगे अगर सब लोग नीम का दातुन करेंगे ! तो एक दिन नीम का झाड खत्म हो जाएगा ! उसका भी के उपाय है !
    घर के बाहर नीम का पेड़ लगा है तो 200 तरह के वाइरस और बेक्टीरिया आपके घर मे नहीं घुसेंगे और एक नीम का पेड़ 1 साल में 15 लाख रूपये की आक्सीजन देता है ! अगर आप संकल्प ले कि आप अपने हर जन्मदिन पर 1 नीम का पेड़ लगाएँगे और मान लो आपके 50 जन्मदिन आयें और आपने 50 नीम के पेड़ लगाये ! तो 50 x 1500000 (15 लाख ) = 7.50 करोड़ तो (साढ़े सात करोड़) की आक्सीजन आप देश को दान देंगे ! और अगर कोई आप से ऐसे मांग ले कि भाई साढ़े सात करोड़ देश के लिए दे दो ! तो आप कहेंगे है ही नहीं ! और इतने नीम के पेड़ होने से देश मे बढ़ रही प्रदूषण की समस्या भी हल हो जाएगी !!

    आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!

    एक बार यहाँ जरूर click करे!!

    http://www.youtube.com/watch?v=hBXx2ROlCBg
    वन्देमातरम अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !

    अँग्रेजी के पक्ष में तर्क और उसकी सच्चाई


    जरूर पढ़ें मित्रो !

    https://www.youtube.com/watch?v=ZqtRzpv52Ls
    1) English अंतराष्ट्रीय भाषा है ??
    2) English विज्ञान और तकनीकी की भाषा है ??
    3) English जाने बिना देश का विकास नहीं हो सकता ??
    4) English बहुत समृद्ध भाषा है !

    ___________________________
    मित्रो पहले आप एक खास बात जाने ! कुल 70 देश है पूरी दुनिया मे जो भारत से पहले और भारत से बाद आजाद हुए हैं भारत को छोड़ कर उन सब मे एक बात सामान्य हैं कि आजाद होते ही उन्होने अपनी
    मातृ भाषा को अपनी राष्ट्रीय भाषा घोषित कर दिया ! लेकिन शर्म की बात है भारत आजादी के 65 साल बाद भी नहीं कर पाया आज भी भारत मे सरकारी सतर की भाषा अँग्रेजी है !

    अँग्रेजी के पक्ष में तर्क और उसकी सच्चाई :

    1). अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है:: दुनिया में इस समय 204देश हैं और मात्र 12 देशों में अँग्रेजी बोली, पढ़ी और समझी जाती है। संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी। पूरी दुनिया में जनसंख्या के हिसाब से सिर्फ 3% लोग अँग्रेजी बोलते हैं। इस हिसाब से तो अंतर्राष्ट्रीय भाषा चाइनिज हो सकती है क्यूंकी ये दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाती है और दूसरे नंबर पर हिन्दी हो सकती है।

    2. अँग्रेजी बहुत समृद्ध भाषा है:: किसी भी भाषा की समृद्धि इस बात से तय होती है की उसमें कितने शब्द हैं और अँग्रेजी में सिर्फ 12,000 मूल शब्द हैं बाकी अँग्रेजी के सारे शब्द चोरी के हैं या तो लैटिन के, या तो फ्रेंचके, या तो ग्रीक के, या तो दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ देशों की भाषाओं के हैं। आपने भी काफी बार किसी अँग्रेजी शब्द के बारे मे पढ़ा होगा ! ये शब्द यूनानी भाषा से लिया गया है ! ऐसी ही बाकी शब्द है !

    उदाहरण: अँग्रेजी में चाचा, मामा, फूफा, ताऊ सब UNCLE चाची, ताई, मामी, बुआ सब AUNTY क्यूंकी अँग्रेजी भाषा में शब्द ही नहीं है। जबकि गुजराती में अकेले 40,000 मूल शब्द हैं। मराठी में 48000+ मूल शब्द हैं जबकि हिन्दी में 70000+ मूल शब्द हैं। कैसे माना जाए अँग्रेजी बहुत समृद्ध भाषा है ?? अँग्रेजी सबसे लाचार/पंगु/ रद्दी भाषा है क्योंकि इस भाषा के नियम कभी एक से नहीं होते। दुनिया में सबसे अच्छी भाषा वो मानी जाती है जिसके नियम हमेशा एक जैसे हों, जैसे: संस्कृत। अँग्रेजी में आज से 200 साल पहले This की स्पेलिंग Tis होती थी।

    अँग्रेजी में 250 साल पहले Nice मतलब बेवकूफ होता था और आज Nice मतलब अच्छा होता है। अँग्रेजी भाषा में Pronunciation कभी एक सा नहीं होता। Today को ऑस्ट्रेलिया में Todie बोला जाता है जबकि ब्रिटेन में Today. अमेरिका और ब्रिटेन में इसी बात का झगड़ा है क्योंकि अमेरीकन अँग्रेजी में Zका ज्यादा प्रयोग करते हैं और ब्रिटिश अँग्रेजी में S का, क्यूंकी कोई नियम ही नहीं है और इसीलिए दोनों ने अपनी अपनी अलग अलग अँग्रेजी मान ली।

    3. अँग्रेजी नहीं होगी तो विज्ञान और तकनीक की पढ़ाई नहीं हो सकती:: दुनिया में 2 देश इसका उदाहरण हैं की बिना अँग्रेजी के भी विज्ञान और तकनीक की पढ़ाई होटी है- जापान और फ़्रांस । पूरे जापान में इंजीन्यरिंग, मेडिकल के जीतने भी कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं सबमें पढ़ाई"JAPANESE" में होती है, इसी तरह फ़्रांस में बचपन से लेकर उच्चशिक्षा तक सब फ्रेंच में पढ़ाया जाता है।
    हमसे छोटे छोटे, हमारे शहरों जितने देशों में हर साल नोबल विजेता पैदा होते हैं लेकिन इतने बड़े भारत में नहीं क्यूंकी हम विदेशी भाषा में काम करते हैं और विदेशी भाषा में कोई भी मौलिक काम नहीं किया जा सकता सिर्फ रटा जा सकता है। ये अँग्रेजी का ही परिणाम है की हमारे देश में नोबल पुरस्कार विजेता पैदा नहीं होते हैं क्यूंकी नोबल पुरस्कार के लिए मौलिक काम करना पड़ता है और कोई भी मौलिक काम कभी भी विदेशी भाषा में नहीं किया जा सकता है। नोबल पुरस्कार के लिए P.hd, B.Tech, M.Tech की जरूरत नहीं होती है। उदाहरण: न्यूटन कक्षा 9 में फ़ेल हो गया था, आइंस्टीन कक्षा 10 के आगे पढे ही नही और E=hv बताने वाला मैक्स प्लांक कभी स्कूल गया ही नहीं। ऐसी ही शेक्सपियर, तुलसीदास, महर्षि वेदव्यास आदि के पास कोई डिग्री नहीं थी, इन्होने सिर्फ अपनी मात्र भाषा में काम किया।
    जब हम हमारे बच्चों को अँग्रेजी माध्यम से हटकर अपनी मात्र भाषा में पढ़ाना शुरू करेंगे तो इस अंग्रेज़ियत से हमारा रिश्ता टूटेगा।

    क्या आप जानते हैं जापान ने इतनी जल्दी इतनी तरक्की कैसे कर ली ? क्यूंकी जापान के लोगों में अपनी मात्र भाषा से जितना प्यार है उतना ही अपने देश से प्यार है। जापान के बच्चों में बचपन से कूट- कूट कर राष्ट्रीयता की भावना भरी जाती है।

    * जो लोग अपनी मात्र भाषा से प्यार नहीं करते वो अपने देश से प्यार नहीं करते सिर्फ झूठा दिखावा करते हैं। *

    दुनिया भर के वैज्ञानिकों का मानना है की दुनिया में कम्प्युटर के लिए सबसे अच्छी भाषा 'संस्कृत' है। सबसे ज्यादा संस्कृत पर शोध इस समय जर्मनी और अमेरिका चल रही है। नासा ने 'मिशन संस्कृत' शुरू किया है और अमेरिका में बच्चों के पाठ्यक्रम में संस्कृत को शामिल किया गया है। सोचिए अगर अँग्रेजी अच्छी भाषा होती तो ये अँग्रेजी को क्यूँ छोड़ते और हम अंग्रेज़ियत की गुलामी में घुसे हुए है। कोई भी बड़े से बड़ा तीस मार खाँ अँग्रेजी बोलते समय सबसे पहले उसको अपनी मात्र भाषा में सोचता है और फिर उसको दिमाग में Translate करता है फिर दोगुनी मेहनत करके अँग्रेजी बोलता है। हर व्यक्ति अपने जीवन के अत्यंत निजी क्षणों में मात्र भाषा ही बोलता है। जैसे: जब कोई बहुत गुस्सा होता है तो गाली हमेशा मात्र भाषा में ही देता हैं।

    ॥ मात्रभाषा पर गर्व करो.....अँग्रेज ी की गुलामी छोड़ो॥

    अभी जो आपने ऊपर पढ़ा ये राजीव दीक्षित जी के (अँग्रेजी भाषा की गुलामी ) वाले व्यख्यान का सिर्फ 10 % लिखा है !

    पूरा lecture सुने यहाँ click करे !

    https://www.youtube.com/watch?v=ZqtRzpv52Ls

    वन्देमातरम ! अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !

    राजीव दीक्षित जी ने सेक्युलर(धर्म निरपेक्ष) पर बहुत अच्छी बात कही थी.

    राजीव दीक्षित जी ने सेक्युलर(धर्म निरपेक्ष) पर बहुत अच्छी बात कही थी..!

    ______________________________________________________
    हां मैं सेक्युलर नहीं हूँ मैं हिन्दू हूँ !

    मेरा धर्म ही मुझे सिखाता है की निर्दोष चींटी को ना मारो,पेड़ ना काटो , सभी धर्मो का आदर एंव सम्मान करो, दृष्टो के साथ कभी न रहो बल्कि देश,धर्म और अपनी सभ्यता-संस्कृति के लिए अन्याय एंव दृष्टो के सामने जंग करो,लोगो का कल्याण करो नदी,पर्वत,वृक्ष सब इस प्रकृति हिस्सा है इसका सम्मान करो !

    अगर मैं धर्म निरपेक्ष हो गया तो ये सब भूल जाऊंगा जो मुझे मेरे धर्म ने सिखाया है मैं धर्म निरपेक्ष बन गया तो असत्य का साथ लूँगा,निर्दोष लोगो को मारने लगूंगा और मैं हैवान बन जाऊंगा,पेड़ पोधे प्राणी आदिओ का संहार करके प्रकृति ख़त्म कर दूंगा !

    तो मैं धर्म निरपेक्ष नहीं हूँ ., मैं हिन्दू हूँ !
    Must Click

    http://www.youtube.com/watch?v=BR-lLpzi7JE


    आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद् 
    वन्देमातरम 
    भारत माता की जय

    वैलेंटाइन डे की कहानी::

    वैलेंटाइन डे की कहानी::! जरूर पढे !

    एक बार यहाँ जरूर click करे !!

    http://www.youtube.com/watch?v=V1nW7hUGJws

    मित्रो यूरोप (और अमेरिका) का समाज जो है वो रखैलों (Kept) में विश्वास करता
    है पत्नियों में नहीं, यूरोप और अमेरिका में आपको शायद ही ऐसा कोई पुरुष या
    मिहला मिले जिसकी एक शादी हुई हो, जिनका एक पुरुष से या एक स्त्री से सम्बन्ध
    रहा हो और ये एक दो नहीं हजारों साल की परम्परा है उनके यहाँ | आपने एक शब्द
    सुना होगा "Live in Relationship" ये शब्द आज कल हमारे
    देश में भी नव-अिभजात्य वगर् में चल रहा है, इसका मतलब होता है कि "बिना शादी
    के पती-पत्नी की तरह से रहना" | तो उनके यहाँ, मतलब यूरोप और अमेरिका में ये
    परंपरा आज भी चलती है,

    खुद प्लेटो (एक यूरोपीय दार्शनिक) का एक स्त्री से सम्बन्ध नहीं रहा, प्लेटो
    ने लिखा है कि "मेरा 20-22 स्त्रीयों से सम्बन्ध रहा है" अरस्तु भी यही कहता
    है, देकातेर् भी यही कहता है, और रूसो ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि "एक
    स्त्री के साथ रहना, ये तो कभी संभव ही नहीं हो सकता, It's Highly Impossible"
    | तो वहां एक पत्नि जैसा कुछ होता नहीं | और इन सभी महान दार्शनिकों का तो
    कहना है कि "स्त्री में तो आत्मा ही नहीं होती" "स्त्री तो मेज और कुर्सी के
    समान हैं, जब पुराने से मन भर गया तो पुराना हटा के नया ले आये " | तो बीच-बीच
    में यूरोप में कुछ-कुछ ऐसे लोग निकले जिन्होंने इन बातों का विरोध किया और इन
    रहन-सहन की व्यवस्थाओं पर कड़ी टिप्पणी की | उन कुछ लोगों में से एक ऐसे ही
    यूरोपियन व्यक्ति थे जो आज से लगभग 1500 साल पहले पैदा हुए, उनका नाम था -
    वैलेंटाइन | और ये कहानी है 478 AD (after death) की, यानि ईशा की मृत्यु के
    बाद |

    उस वैलेंटाइन नाम के महापुरुष का कहना था कि "हम लोग (यूरोप के लोग) जो
    शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं कुत्तों की तरह से, जानवरों की तरह से, ये अच्छा
    नहीं है, इससे सेक्स-जनित रोग (veneral disease) होते हैं, इनको सुधारो, एक
    पति-एक पत्नी के साथ रहो, विवाह कर के रहो, शारीरिक संबंधो को उसके बाद ही
    शुरू करो" ऐसी-ऐसी बातें वो करते थे और वो वैलेंटाइन महाशय उन सभी लोगों को ये
    सब सिखाते थे, बताते थे, जो उनके पास आते थे, रोज उनका भाषण यही चलता था रोम
    में घूम-घूम कर |

    संयोग से वो चर्च के पादरी हो गए तो चर्च में आने वाले हर व्यक्ति को यही
    बताते थे, तो लोग उनसे पूछते थे कि ये वायरस आप में कहाँ से घुस गया, ये तो
    हमारे यूरोप में कहीं नहीं है, तो वो कहते थे कि "आजकल मैं भारतीय सभ्यता और
    दशर्न का अध्ययन कर रहा हूँ, और मुझे लगता है कि वो परफेक्ट है, और इसिलए मैं
    चाहता हूँ कि आप लोग इसे मानो", तो कुछ लोग उनकी बात को मानते थे, तो जो लोग
    उनकी बात को मानते थे, उनकी शादियाँ वो चर्च में कराते थे और एक-दो नहीं
    उन्होंने सैकड़ों शादियाँ करवाई थी |

    जिस समय वैलेंटाइन हुए, उस समय रोम का राजा था क्लौड़ीयस, क्लौड़ीयस ने कहा
    कि "ये जो आदमी है-वैलेंटाइन, ये हमारे यूरोप की परंपरा को बिगाड़ रहा है, हम
    बिना शादी के रहने वाले लोग हैं, मौज-मजे में डूबे रहने वाले लोग हैं, और ये
    शादियाँ करवाता फ़िर रहा है, ये तो अपसंस्कृति फैला रहा है, हमारी संस्कृति
    को नष्ट कर रहा है", तो क्लौड़ीयस ने आदेश दिया कि "जाओ वैलेंटाइन को पकड़ के
    लाओ ", तो उसके सैनिक वैलेंटाइन को पकड़ के ले आये |

    क्लौड़ीयस नेवैलेंटाइन से कहा कि "ये तुम क्या गलत काम कर रहे हो ? तुम अधमर्
    फैला रहे हो, अपसंस्कृति ला रहे हो" तो वैलेंटाइन ने कहा कि "मुझे लगता है कि
    ये ठीक है" , क्लौड़ीयस ने उसकी एक बात न सुनी और उसने वैलेंटाइन को फाँसी की
    सजा दे दी, आरोप क्या था कि वो बच्चों की शादियाँ कराते थे, मतलब शादी करना
    जुर्म था | क्लौड़ीयस ने उन सभी बच्चों को बुलाया, जिनकी शादी वैलेंटाइन ने
    करवाई थी और उन सभी के सामने वैलेंटाइन को 14 फ़रवरी 498 ईःवी को फाँसी दे
    दिया गया |

    पता नहीं आप में से कितने लोगों को मालूम है कि पूरे यूरोप में 1950 ईःवी तक
    खुले मैदान में, सावर्जानिक तौर पर फाँसी देने की परंपरा थी | तो जिन बच्चों
    ने वैलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत दुखी हुए और उन सब ने उस
    वैलेंटाइन की दुखद याद में 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया तो उस
    दिन से यूरोप में वैलेंटाइन डे
    मनाया जाता है | मतलब ये हुआ कि वैलेंटाइन, जो कि यूरोप में शादियाँ करवाते
    फ़िरते थे, चूकी राजा ने उनको फाँसी की सजा दे दी, तो उनकी याद में वैलेंटाइन
    डे मनाया जाता है | ये था वैलेंटाइन डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार |



    अब यही वैलेंटाइन डे भारत आ गया है जहाँ शादी होना एकदम सामान्य बात है यहाँ
    तो कोई बिना शादी के घूमता हो तो अद्भुत या अचरज लगे लेकिन यूरोप में शादी
    होना ही सबसे असामान्य बात है | अब ये वैलेंटाइन डे हमारे स्कूलों में कॉलजों
    में आ गया है और बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के
    लड़के-लड़िकयां बिना सोचे-समझे एक दुसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड दे रहे हैं
    | और जो कार्ड होता है उसमे लिखा होता है " Would You Be My Valentine" जिसका
    मतलब होता है "क्या आप मुझसे शादी करेंगे" | मतलब तो किसी को मालूम होता नहीं
    है, वो समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं उन्हें ये कार्ड देना चाहिए तो
    वो इसी कार्ड को अपने मम्मी-पापा को भी दे देते हैं, दादा-दादी को भी दे देते
    हैं और एक दो नहीं दस-बीस लोगों को ये
    ही कार्ड वो दे देते हैं |वैलेंटाइन डे की कहानी::! जरूर पढे !

    मित्रो यूरोप (और अमेरिका) का समाज जो है वो रखैलों (Kept) में विश्वास करता
    है पत्नियों में नहीं, यूरोप और अमेरिका में आपको शायद ही ऐसा कोई पुरुष या
    मिहला मिले जिसकी एक शादी हुई हो, जिनका एक पुरुष से या एक स्त्री से सम्बन्ध
    रहा हो और ये एक दो नहीं हजारों साल की परम्परा है उनके यहाँ | आपने एक शब्द
    सुना होगा "Live in Relationship" ये शब्द आज कल हमारे
    देश में भी नव-अिभजात्य वगर् में चल रहा है, इसका मतलब होता है कि "बिना शादी
    के पती-पत्नी की तरह से रहना" | तो उनके यहाँ, मतलब यूरोप और अमेरिका में ये
    परंपरा आज भी चलती है,

    खुद प्लेटो (एक यूरोपीय दार्शनिक) का एक स्त्री से सम्बन्ध नहीं रहा, प्लेटो
    ने लिखा है कि "मेरा 20-22 स्त्रीयों से सम्बन्ध रहा है" अरस्तु भी यही कहता
    है, देकातेर् भी यही कहता है, और रूसो ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि "एक
    स्त्री के साथ रहना, ये तो कभी संभव ही नहीं हो सकता, It's Highly Impossible"
    | तो वहां एक पत्नि जैसा कुछ होता नहीं | और इन सभी महान दार्शनिकों का तो
    कहना है कि "स्त्री में तो आत्मा ही नहीं होती" "स्त्री तो मेज और कुर्सी के
    समान हैं, जब पुराने से मन भर गया तो पुराना हटा के नया ले आये " | तो बीच-बीच
    में यूरोप में कुछ-कुछ ऐसे लोग निकले जिन्होंने इन बातों का विरोध किया और इन
    रहन-सहन की व्यवस्थाओं पर कड़ी टिप्पणी की | उन कुछ लोगों में से एक ऐसे ही
    यूरोपियन व्यक्ति थे जो आज से लगभग 1500 साल पहले पैदा हुए, उनका नाम था -
    वैलेंटाइन | और ये कहानी है 478 AD (after death) की, यानि ईशा की मृत्यु के
    बाद |

    उस वैलेंटाइन नाम के महापुरुष का कहना था कि "हम लोग (यूरोप के लोग) जो
    शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं कुत्तों की तरह से, जानवरों की तरह से, ये अच्छा
    नहीं है, इससे सेक्स-जनित रोग (veneral disease) होते हैं, इनको सुधारो, एक
    पति-एक पत्नी के साथ रहो, विवाह कर के रहो, शारीरिक संबंधो को उसके बाद ही
    शुरू करो" ऐसी-ऐसी बातें वो करते थे और वो वैलेंटाइन महाशय उन सभी लोगों को ये
    सब सिखाते थे, बताते थे, जो उनके पास आते थे, रोज उनका भाषण यही चलता था रोम
    में घूम-घूम कर |

    संयोग से वो चर्च के पादरी हो गए तो चर्च में आने वाले हर व्यक्ति को यही
    बताते थे, तो लोग उनसे पूछते थे कि ये वायरस आप में कहाँ से घुस गया, ये तो
    हमारे यूरोप में कहीं नहीं है, तो वो कहते थे कि "आजकल मैं भारतीय सभ्यता और
    दशर्न का अध्ययन कर रहा हूँ, और मुझे लगता है कि वो परफेक्ट है, और इसिलए मैं
    चाहता हूँ कि आप लोग इसे मानो", तो कुछ लोग उनकी बात को मानते थे, तो जो लोग
    उनकी बात को मानते थे, उनकी शादियाँ वो चर्च में कराते थे और एक-दो नहीं
    उन्होंने सैकड़ों शादियाँ करवाई थी |

    जिस समय वैलेंटाइन हुए, उस समय रोम का राजा था क्लौड़ीयस, क्लौड़ीयस ने कहा
    कि "ये जो आदमी है-वैलेंटाइन, ये हमारे यूरोप की परंपरा को बिगाड़ रहा है, हम
    बिना शादी के रहने वाले लोग हैं, मौज-मजे में डूबे रहने वाले लोग हैं, और ये
    शादियाँ करवाता फ़िर रहा है, ये तो अपसंस्कृति फैला रहा है, हमारी संस्कृति
    को नष्ट कर रहा है", तो क्लौड़ीयस ने आदेश दिया कि "जाओ वैलेंटाइन को पकड़ के
    लाओ ", तो उसके सैनिक वैलेंटाइन को पकड़ के ले आये |

    क्लौड़ीयस नेवैलेंटाइन से कहा कि "ये तुम क्या गलत काम कर रहे हो ? तुम अधमर्
    फैला रहे हो, अपसंस्कृति ला रहे हो" तो वैलेंटाइन ने कहा कि "मुझे लगता है कि
    ये ठीक है" , क्लौड़ीयस ने उसकी एक बात न सुनी और उसने वैलेंटाइन को फाँसी की
    सजा दे दी, आरोप क्या था कि वो बच्चों की शादियाँ कराते थे, मतलब शादी करना
    जुर्म था | क्लौड़ीयस ने उन सभी बच्चों को बुलाया, जिनकी शादी वैलेंटाइन ने
    करवाई थी और उन सभी के सामने वैलेंटाइन को 14 फ़रवरी 498 ईःवी को फाँसी दे
    दिया गया |

    पता नहीं आप में से कितने लोगों को मालूम है कि पूरे यूरोप में 1950 ईःवी तक
    खुले मैदान में, सावर्जानिक तौर पर फाँसी देने की परंपरा थी | तो जिन बच्चों
    ने वैलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत दुखी हुए और उन सब ने उस
    वैलेंटाइन की दुखद याद में 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया तो उस
    दिन से यूरोप में वैलेंटाइन डे
    मनाया जाता है | मतलब ये हुआ कि वैलेंटाइन, जो कि यूरोप में शादियाँ करवाते
    फ़िरते थे, चूकी राजा ने उनको फाँसी की सजा दे दी, तो उनकी याद में वैलेंटाइन
    डे मनाया जाता है | ये था वैलेंटाइन डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार |



    अब यही वैलेंटाइन डे भारत आ गया है जहाँ शादी होना एकदम सामान्य बात है यहाँ
    तो कोई बिना शादी के घूमता हो तो अद्भुत या अचरज लगे लेकिन यूरोप में शादी
    होना ही सबसे असामान्य बात है | अब ये वैलेंटाइन डे हमारे स्कूलों में कॉलजों
    में आ गया है और बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के
    लड़के-लड़िकयां बिना सोचे-समझे एक दुसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड दे रहे हैं
    | और जो कार्ड होता है उसमे लिखा होता है " Would You Be My Valentine" जिसका
    मतलब होता है "क्या आप मुझसे शादी करेंगे" | मतलब तो किसी को मालूम होता नहीं
    है, वो समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं उन्हें ये कार्ड देना चाहिए तो
    वो इसी कार्ड को अपने मम्मी-पापा को भी दे देते हैं, दादा-दादी को भी दे देते
    हैं और एक दो नहीं दस-बीस लोगों को ये
    ही कार्ड वो दे देते हैं |

    और इस धंधे में बड़ी-बड़ी कंपिनयाँ लग गयी हैं जिनको कार्ड बेचना है, जिनको
    गिफ्ट बेचना है, जिनको चाकलेट बेचनी हैं और टेलीविजन चैनल वालों ने इसका
    धुआधार प्रचार कर दिया | ये सब लिखने के पीछे का उद्देँशय यही है कि नक़ल आप
    करें तो उसमे अकल भी लगा लिया करें | उनके यहाँ साधारणतया शादियाँ नहीं होती
    है और जो शादी करते हैं वो वैलेंटाइन डे मनाते हैं लेकिन हम भारत में क्यों
    ??????

    आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
    एक बार यहाँ जरूर click करे !!

    http://www.youtube.com/watch?v=V1nW7hUGJws

    अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !
    वन्देमातरम

    और इस धंधे में बड़ी-बड़ी कंपिनयाँ लग गयी हैं जिनको कार्ड बेचना है, जिनको
    गिफ्ट बेचना है, जिनको चाकलेट बेचनी हैं और टेलीविजन चैनल वालों ने इसका
    धुआधार प्रचार कर दिया | ये सब लिखने के पीछे का उद्देँशय यही है कि नक़ल आप
    करें तो उसमे अकल भी लगा लिया करें | उनके यहाँ साधारणतया शादियाँ नहीं होती
    है और जो शादी करते हैं वो वैलेंटाइन डे मनाते हैं लेकिन हम भारत में क्यों
    ??????

    आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
    एक बार यहाँ जरूर click करे !!

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    अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !
    वन्देमातरम

    गौ माता की रक्षा के लिए इस विदेशी कंपनी nestle से समान खरीदना बंद नहीं कर सकते ?

    दोस्तो याद रखना क्रांतिकारी मंगलपांडे को ! जिसने आजादी की पहली गोली गौ माता की रक्षा के लिए चलाई थी ! और अंग्रेज़ मेजर हयूसन को उड़ा दिया था ! और फिर उनको फांसी हुई !



    हमारे क्रांतिवीर गौ माता के रक्षा के लिए फांसी पर चढ़े है !!

    और आप गौ माता की रक्षा के लिए इस विदेशी कंपनी nestle से समान खरीदना बंद नहीं कर सकते ???

    याद रखो ये वही विदेशी कंपनी nestle है ! जो अपनी चाकलेट kitkat मे गाय के बछड़े के मांस का रस मिलती है !!

    विश्वास न हो तो यहाँ click कर देखे !
    https://www.facebook.com/photo.php?fbid=461160647323500&set=pb.245769338862633.-2207520000.1391702704.&type=3&theater

    वन्देमातरम
    जय गौ माता !! —

    Acharya Balkrishan Ji Maharaj आचार्य बालकृष्ण जी - आखिर इतना बड़ा भारत मूठी भर अंग्रेज़ो का गुलाम कैसे हुआ ?

    आखिर इतना बड़ा भारत मूठी भर अंग्रेज़ो का गुलाम कैसे हुआ ??
    किसी इतिहास की किताब आपको ये जवाब नहीं मिलेगा !
    एक बार पढ़ें ! राजीव भाई की भाषा मे (1998 )
    ______________________________________________

    दो तीन गंभीर बाते कहने आपसे आया हूँ . और चाहता हु कि कुछ आपसे कह सकुं और अगर आप चाहें तो मुझसे कुछ पूछ सके. मेरे व्याख्यान के बाद अगर आपको लगे तो आप सवाल जरुर पूछिएगा. जिस विषय पर मै व्याख्यान देने वाला हूँ वो विषय आज हमारे देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, इसलिए अगर आप उसमे कुछ सवाल करेंगे तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी. !

    आज़ादी के 50 साल हो गए है, ऐसा भारत सरकार कहती है. 1947 में हम आजाद हुए थे, अंग्रेजो की गुलामी से. और 1947 में जब आज़ादी मिली, तो अब 1998 आ गया है, ऐसा माना जाता है कि 500 साल पुरे हो गए, देश को आज़ाद हुए. मै मानता हु कि ये आज़ादी के ५० साल नही है बल्कि हिंदुस्तान की गुलामी के 500 साल पुरे हुए है. ये, कभी कभी आपको आश्चर्य लगेगा कि ये राजीव भाई ऐसा क्यों बोलते है गुलामी के 500 साल ?? भारत सरकार तो कहती है कि आज़ादी को 50 साल हो गए है. और मै बहुत गंभीरता से ये मानता हु कि आज़ादी के 50 साल नहीं बल्कि गुलामी के 400 साल पुरे हुए है. वो कैसे? उसको समझिए, !! 


    आज से लगभग 400 साल पहले, वास्को डी गामा आया था हिंदुस्तान. इतिहास की चोपड़ी में, इतिहास की किताब में हमसब ने पढ़ा होगा कि सन. 1498 में मई की 20 तारीख को वास्को डी गामा हिंदुस्तान आया था. इतिहास की चोपड़ी में हमको ये बताया गया कि वास्को डी गामा ने हिंदुस्तान की खोज की, पर ऐसा लगता है कि जैसे वास्को डी गामा ने जब हिंदुस्तान की खोज की, तो शायद उसके पहले हिंदुस्तान था ही नहीं. हज़ारो साल का ये देश है, जो वास्को डी गामा के बाप दादाओं के पहले से मौजूद है इस दुनिया में. तो इतिहास कि चोपड़ी में ऐसा क्यों कहा जाता है कि वास्को डी गामा ने हिंदुस्तान की खोज की, भारत की खोज की. और मै मानता हु कि वो एकदम गलत है. वास्को डी गामा ने भारत की कोई खोज नहीं की, हिंदुस्तान की भी कोई खोज नहीं की, हिंदुस्तान पहले से था, भारत पहले से था,

    वास्को डी गामा यहाँ आया था भारतवर्ष को लुटने के लिए, एक बात और जो इतिहास में, मेरे अनुसार बहुत गलत बताई जाती है कि वास्को डी गामा एक बहूत बहादुर नाविक था, बहादुर सेनापति था, बहादुर सैनिक था, और हिंदुस्तान की खोज के अभियान पर निकला था, ऐसा कुछ नहीं था, सच्चाई ये है कि पुर्तगाल का वो उस ज़माने का डॉन था, माफ़िया था. जैसे आज के ज़माने में हिंदुस्तान में बहूत सारे माफ़िया किंग रहे है, उनका नाम लेने की जरुरत नहीं है, क्योकि मंदिर की पवित्रता ख़तम हो जाएगी, ऐसे ही बहूत सारे डॉन और माफ़िया किंग 15 वी सताब्दी में होते थे यूरोप में. और 15 वी. सताब्दी का जो यूरोप था, वहां दो देश बहूत ताकतवर थें उस ज़माने में, एक था स्पेन और दूसरा था पुर्तगाल. तो वास्को डी गामा जो था वो पुर्तगाल का माफ़िया किंग था. 1490 के आस पास से वास्को डी गामा पुर्तगाल में चोरी का काम, लुटेरे का काम, डकैती डालने का काम ये सब किया करता था. और अगर सच्चा इतिहास उसका आप खोजिए तो एक चोर और लुटेरे को हमारे इतिहास में गलत तरीके से हीरो बना कर पेश किया गया. और ऐसा जो डॉन और माफ़िया था उस ज़माने का पुर्तगाल का ऐसा ही एक दुसरा लुटेरा और डॉन था, माफ़िया था उसका नाम था कोलंबस, वो स्पेन का था.

    तो हुआ क्या था, कोलंबस गया था अमेरिका को लुटने के लिए और वास्को डी गामा आया था भारतवर्ष को लुटने के लिए. लेकिन इन दोनों के दिमाग में ऐसी बात आई कहाँ से, कोलंबस के दिमाग में ये किसने डाला की चलो अमेरिका को लुटा जाए, और वास्को डी गामा के दिमाग में किसने डाला कि चलो भारतवर्ष को लुटा जाए. तो इन दोनों को ये कहने वाले लोग कौन थे? अतुल भाई जो बता रहे थे, वही बात मै आपसे दोहरा रहा हु.
    हुआ क्या था कि 14 वी. और 15 वी. सताब्दी के बीच का जो समय था, यूरोप में दो ही देश थें जो ताकतवर माने जाते थे, एक देश था स्पेन, दूसरा था पुर्तगाल, तो इन दोनों देशो के बीच में अक्सर लड़ाई झगडे होते थे, लड़ाई झगड़े किस बात के होते थे कि स्पेन के जो लुटेरे थे, वो कुछ जहांजो को लुटते थें तो उसकी संपत्ति उनके पास आती थी, ऐसे ही पुर्तगाल के कुछ लुटेरे हुआ करते थे वो जहांज को लुटते थें तो उनके पास संपत्ति आती थी, तो संपत्ति का झगड़ा होता था कि कौन-कौन संपत्ति ज्यादा रखेगा. स्पेन के पास ज्यादा संपत्ति जाएगी या पुर्तगाल के पास ज्यादा संपत्ति जाएगी. तो उस संपत्ति का बटवारा करने के लिए कई बार जो झगड़े होते थे वो वहां की धर्मसत्ता के पास ले जाए जाते थे. और उस ज़माने की वहां की जो धर्मसत्ता थी, वो क्रिस्चियनिटी की सत्ता थी, और क्रिस्चियनिटी की सत्ता 1492 में के आसपास पोप होता था जो सिक्स्थ कहलाता था, छठवा पोप.!

    तो एक बार ऐसे ही झगड़ा हुआ, पुर्तगाल और स्पेन की सत्ताओ के बीच में, और झगड़ा किस बात को ले कर था? झगड़ा इस बात को ले कर था कि लूट का माल जो मिले वो किसके हिस्से में ज्यादा जाए. तो उस ज़माने के पोप ने एक अध्यादेश जारी किया. आदेश जारी किया, एक नोटिफिकेशन जारी किया. सन 1492 में, और वो नोटिफिकेशन क्या था? वो नोटिफिकेशन ये था कि 1492 के बाद, सारी दुनिया की संपत्ति को उन्होंने दो हिस्सों में बाँटा, और दो हिस्सों में ऐसा बाँटा कि दुनिया का एक हिस्सा पूर्वी हिस्सा, और दुनिया का दूसरा हिस्सा पश्चिमी हिस्सा. तो पूर्वी हिस्से की संपत्ति को लुटने का काम पुर्तगाल करेगा और पश्चिमी हिस्से की संपत्ति को लुटने का काम स्पेन करेगा. ये आदेश 1492 में पोप ने जारी किया. ये आदेश जारी करते समय, जो मूल सवाल है वो ये है कि क्या किसी पोप को ये अधिकार है कि वो दुनिया को दो हिस्सों में बांटे, और उन दोनों हिस्सों को लुटने के लिए दो अलग अलग देशो की नियुक्ति कर दे? स्पैन को कहा की दुनिया के पश्चिमी हिस्से को तुम लूटो, पुर्तगाल को कहा की दुनिया के पूर्वी हिस्से को तुम लूटो और 1492 में जारी किया हुआ वो आदेश और बुल आज भी एग्जिस्ट करता है.

    ये क्रिस्चियनिटी की धर्मसत्ता कितनी खतरनाक हो सकती है उसका एक अंदाजा इस बात से लगता है कि उन्होंने मान लिया कि सारी दुनिया तो हमारी है और इस दुनिया को दो हिस्सों में बांट दो पुर्तगाली पूर्वी हिस्से को लूटेंगे, स्पेनीश लोग पश्चिमी हिस्से को लूटेंगे. पुर्तगालियो को चूँकि दुनिया के पूर्वी हिस्से को लुटने का आदेश मिला पोप की तरफ से तो उसी लुट को करने के लिए वास्को डी गामा हमारे देश आया था. क्योकि भारतवर्ष दुनिया के पूर्वी हिस्से में पड़ता है. और उसी लुट के सिलसिले को बरकरार रखने के लिए कोलंबस अमरीका गया. इतिहास बताता है कि 1492 में कोलंबस अमरीका पहुंचा, और 1498 में वास्को डी गामा हिंदुस्तान पहुंचा, भारतवर्ष पहुंचा. कोलंबस जब अमरीका पहुंचा तो उसने अमरीका में, जो मूल प्रजाति थी रेड इंडियन्स जिनको माया सभ्यता के लोग कहते थे, उन माया सभ्यता के लोगों से मार कर पिट कर सोना चांदी छिनने का काम शुरु किया. इतिहास में ये बराबर गलत जानकारी हमको दी गई कि कोलंबस कोई महान व्यक्ति था, महान व्यक्ति नहीं था, अगर गुजरती में मै शब्द इस्तेमाल करू तो नराधम था. और वो किस दर्जे का नराधम था, सोना चांदी लुटने के लिए अगर किसी की हत्या करनी पड़े तो कोलंबस उसमे पीछे नहीं रहता था,

    उस आदमी ने 14 – 15 वर्षो तक बराबर अमरीका के रेड इन्डियन लोगों को लुटा, और उस लुट से भर – भर कर जहांज जब स्पेन गए तो स्पेन के लोगों को लगा कि अमेरिका में तो बहुत सम्पत्ति है, तो स्पेन की फ़ौज और स्पेन की आर्मी फिर अमरीका पहुंची. और स्पेन की फ़ौज और स्पेन की आर्मी ने अमरीका में पहुँच कर 10 करोड़ रेड इंडियन्स को मौत के घाट उतार दिया.10 करोड़. और ये दस करोड़ रेड इंडियन्स मूल रूप से अमरीका के बाशिंदे थे. ये जो अमरीका का चेहरा आज आपको दिखाई देता है, ये अमरीका 10 करोड़ रेड इन्डियन की लाश पर खड़ा हुआ एक देश है. कितने हैवानियत वाले लोग होंगे, कितने नराधम किस्म के लोग होंगे, जो सबसे पहले गए अमरीका को बसाने के लिए, उसका एक अंदाजा आपको लग सकता है, आज स्थिति क्या है कि जो अमरीका की मूल प्रजा है, जिनको रेड इंडियन कहते है, उनकी संख्या मात्र 65000 रह गई है.

    10 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतारने वाले लोग आज हमको सिखाते है कि हिंदुस्तान में ह्यूमन राईट की स्थिति बहुत ख़राब है. जिनका इतिहास ही ह्यूमन राईट के वोइलेसन पे टिका हुआ है, जिनकी पूरी की पूरी सभ्यता 10 करोड़ लोगों की लाश पर टिकी हुई है, जिनकी पूरी की पूरी तरक्की और विकास 10 करोड़ रेड इंडियनों लोगों के खून से लिखा गया है, ऐसे अमरीका के लोग आज हमको कहते है कि हिंदुस्तान में साहब, ह्यूमन राईट की बड़ी ख़राब स्थिति है, कश्मीर में, पंजाब में, वगेरह वगेरह. और जो काम मारने का, पीटने का, लोगों की हत्याए कर के सोना लुटने का, चांदी लुटने का काम कोलंबस और स्पेन के लोगों ने अमरीका में किया, ठीक वही काम वास्को डी गामा ने 1498 में हिंदुस्तान में किया.

    ये वास्को डी गामा जब कालीकट में आया, 20 मई, 1498 को, तो कालीकट का राजा था उस समय झामोरिन, तो झामोरिन के राज्य में जब ये पहुंचा वास्को डी गामा, तो उसने कहा कि मै तो आपका मेहमान हु, और हिंदुस्तान के बारे में उसको कहीं से पता चल गया था कि इस देश में अतिथि देवो भव की परंपरा. तो झामोरिन ने बेचारे ने, ये अथिति है ऐसा मान कर उसका स्वागत किया, वास्को डी गामा ने कहा कि मुझे आपके राज्य में रहने के लिए कुछ जगह चाहिए, आप मुझे रहने की इजाजत दे दो, परमीशन दे दो. झामोरिन बिचारा सीधा सदा आदमी था, उसने कालीकट में वास्को डी गामा को रहने की इजाजत दे दी. जिस वास्को डी गामा को झामोरिन के राजा ने अथिति बनाया, उसका आथित्य ग्रहण किया, उसके यहाँ रहना शुरु किया, उसी झामोरिन की वास्को डी गामा ने हत्या कराइ. और हत्या करा के खुद वास्को डी गामा कालीकट का मालिक बना. और कालीकट का मालिक बनने के बाद उसने क्या किया कि समुद्र के किनारे है कालीकट केरल में, वहां से जो जहांज आते जाते थे, जिसमे हिन्दुस्तानी व्यापारी अपना माल भर-भर के साउथ ईस्ट एशिया और अरब के देशो में व्यापार के लिए भेजते थे, उन जहांजो पर टैक्स वसूलने का काम वास्को डी गामा करता था. और अगर कोई जहांज वास्को डी गामा को टैक्स ना दे, तो उस जहांज को समुद्र में डुबोने का काम वास्को डी गामा करता था.

    और वास्को डी गामा हिंदुस्तान में आया पहली बार 1498 में, और यहाँ से जब लुट के सम्पत्ति ले गया, तो 7 जहांज भर के सोने की अशर्फिया थी. पोर्तुगीज सरकार के जो डॉक्यूमेंट है वो बताते है कि वास्को डी गामा पहली बार जब हिंदुस्तान से गया, लुट कर सम्पत्ति को ले कर के गया, तो 7 जहांज भर के सोने की अशर्फिया, उसके बाद दुबारा फिर आया वास्को डी गामा. वास्को डी गामा हिंदुस्तान में 3 बार आया लगातार लुटने के बाद, चौथी बार भी आता लेकिन मर गया. दूसरी बार आया तो हिंदुस्तान से लुट कर जो ले गया वो करीब 11 से 12 जहांज भर के सोने की अशर्फिया थी. और तीसरी बार आया और हिंदुस्तान से जो लुट कर ले गया वो 21 से 22 जहांज भर के सोने की अशर्फिया थी. इतना सोना चांदी लुट कर जब वास्को डी गामा यहाँ से ले गया तो पुर्तगाल के लोगों को पता चला कि हिंदुस्तान में तो बहुत सम्पत्ति है. और भारतवर्ष की सम्पत्ति के बारे में उन्होंने पुर्तगालियो ने पहले भी कहीं पढ़ा था, उनको कहीं से ये टेक्स्ट मिल गया था कि भारत एक ऐसा देश है, जहाँ पर महमूद गजनवी नाम का एक व्यक्ति आया, 17 साल बराबर आता रहा, लुटता रहा इस देश को, एक ही मंदिर को, सोमनाथ का मंदिर जो वेरावल में है. उस सोमनाथ के मंदिर को महमूद गजनवी नाम का एक व्यक्ति, एक वर्ष आया अरबों खरबों की सम्पत्ति ले कर चला गया, दुसरे साल आया, फिर अरबों खरबों की सम्पत्ति ले गया. तीसरे साल आया, फिर लुट कर ले गया. और 17 साल वो बराबर आता रहा, और लुट कर ले जाता रहा.

    तो वो टेक्स्ट भी उनको मिल गए थे कि एक एक मंदिर में इतनी सम्पत्ति, इतनी पूंजी है, इतना पैसा है भारत में, तो चलो इस देश को लुटा जाए, और उस ज़माने में एक जानकारी और दे दू, ये जो यूरोप वाले अमरीका वाले जितना अपने आप को विकसित कहे, सच्चाई ये है कि 14 वी. और 15 वी. शताब्दी में दुनिया में सबसे ज्यादा गरीबी यूरोप के देशो में थी. खाने पीने को भी कुछ होता नहीं था. प्रकृति ने उनको हमारी तरह कुछ भी नहीं दिया, न उनके पास नेचुरल रिसोर्सेस है, जितने हमारे पास है. न मौसम बहूत अच्छा है, न खेती बहुत अच्छी होती थी और उद्योगों का तो प्रश्न ही नहीं उठता. 13 फी. और 14 वी. शताब्दी में तो यूरोप में कोई उद्योग नहीं होता था. तो उनलोगों का मूलतः जीविका का जो साधन था जो वो लुटेरे बन के काम से जीविका चलाते थे. चोरी करते थे, डकैती करते थे, लुट डालते थे, ये मूल काम वाले यूरोप के लोग थे, तो उनको पता लगा कि हिंदुस्तान और भारतवर्ष में इतनी सम्पत्ति है तो उस देश को लुटा जाए, और वास्को डी गामा ने आ कर हिंदुस्तान में लुट का एक नया इतिहास शुरु किया.

    उससे पहले भी लुट चली हमारी, महमूद गजनवी जैसे लोग हमको लुटते रहे.
    लेकिन वास्को डी गामा ने आकर लुट को जिस तरह से केन्द्रित किया और ओर्गनाइजड किया वो समझने की जरूरत है. उसके पीछे पीछे क्या हुआ, पुर्तगाली लोग आए, उन्होंने 70 –80 वर्षो तक इस देश को खूब जम कर लुटा. पुर्तगाली चले गए इस देश को लुटने के बाद, फिर उसके पीछे फ़्रांसिसी आए, उन्होंने इस देश को खूब जमकर लुटा 70 – 80 वर्ष उन्होंने भी पुरे किए. उसके बाद डच आ गये हालैंड वाले, उन्होंने इस देश को लुटा. उसके बाद फिर अंग्रेज आ गए हिंदुस्तान में लुटने के लिए ही नहीं बल्कि इस देश पर राज्य भी करने के लिए. पुर्तगाली आए लुटने के लिए, फ़्रांसिसी आए लुटने के लिए, डच आए लुटने के लिए, और फिर पीछे से अंग्रेज चले आए लुटने के लिए, अंग्रेजो ने लुट का तरीका बदल दिया. ये अंग्रेजो से पहले जो लुटने के लिए आए वो आर्मी ले कर के आए थे बंदूक ले कर के आये थे, तलवार ले के आए थे, और जबरदस्ती लुटते थे. अंग्रेजो ने क्या किया कि लुट का सिलसिला बदल दिया, और उन्होंने अपनी एक कंपनी बनाई, उसका नाम ईस्ट इंडिया रखा. ईस्ट इंडिया कंपनी को ले के सबसे पहले सुरत में आए इसी गुजरात में, ये बहुत बड़ा दुर्भाग्य है इस देश का कि जब जब इस देश की लुट हुई है इस देश की गुजरात के रास्ते हुई है.

    जितने लोग इस देश को लुटने के लिए आए बाहर से वो गुजरात के रास्ते घुसे इस देश में. इसको समझिए क्यों ? क्योकि गुजरात में सम्पत्ति बहुत थी, और आज भी है. तो अंग्रेजो को लगा कि सबसे पहले लुटने के लिए चलो सूरत, पुरे हिंदुस्तान में कही नहीं गए, सबसे पहले सुरत में आए. और सुरत में आ के ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए कोठी बनानी है, ऐसा वहां के नवाब के आगे उन्होंने फरमान रखा. बेचारा नवाब सीधा सदा था, उसने अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी को कोठी बनाने के लिए जमीन दे दी. कभी आप जाइए सूरत में, वो कोठी आज भी खड़ी हुई है, उसका नाम है, कुपर विला. एक अंग्रेज था उसका नाम था जेम्स कुपर, 6 अधिकारी आए थे सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के, उनमे से एक अधिकारी था जेम्स कुपर, तो जेम्स कुपर ने अपने नाम पर उस कोठी का नाम रख दिया कुपर विला. तो ईस्ट इंडिया कंपनी की सबसे पहली कोठी बनी सूरत में. सूरत के लोगों को मालूम नहीं था, कि जिन अंग्रेजो को कोठी बनाने के लिए हम जामीन दे रहे है, बाद में यही अंग्रेज हमारे खून के प्यासे हो जाएँगे. अगर ये पता होता तो कभी अंग्रेजो को सुरत में ठहरने की भी जमीन नहीं मिलती.

    अंग्रेजो ने फिर वोही किया जो उनका असली चरित्र था. पहले कोठी बनाई, व्यापार शुरु किया, धीरे धीरे पुरे सुरत शहर में उनका व्यापार फैला, और फिर सन. 1612 में सूरत के नवाब की हत्या कराइ, जिस नवाब से जमीन लिया कोठी बनाने के लिए, उसी नवाब की हत्या कराइ अंग्रेजो ने. और 1612 में जब नवाब की हत्या करा दी उन्होंने, तो सूरत का पूरा एक पूरा बंदरगाह अंग्रेजो के कब्जे में चला गया. और अंग्रेजो ने जो काम सूरत में किया था सन. 1612 में, वही काम कलकत्ता में किया, वही काम मद्रास में किया, वही काम दिल्ली में किया, वही काम आगरा में किया, वही काम लखनऊ में किया, माने जहाँ भी अंग्रेज जाते थे अपनी कोठी बनाने के लिए अपनी ईस्ट इंडिया कंपनी को ले के, उस हर शहर पर अंग्रेजो का कब्जा होता था. और ईस्ट इंडिया कंपनी का झंडा फहराया जाता था. 200 वर्षो के अंदर व्यापार के बहाने अंग्रेजो ने सारे देश को अपने कब्जे में ले लिया. 1750 तक आते आते सारा देश अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का गुलाम हो गया.
    किसी को नहीं मालूम था कि जिस ईस्ट इंडिया कम्पनी को हम व्यापार के लिए छुट दे रहे है, जिन अंग्रेजो को हम व्यापार के लिए जमीन दे रहे है, जिन अंग्रेजो को व्यापार के लिए हिंदुस्तान में हम बुला के ला रहे है, वही अंग्रेज इस देश के मालिक हो जाएँगे, ऐसा किसी को अंदाजा नहीं था, अगर ये अंदाजा होता तो शायद कभी उनको छुट न मिलती.

    लेकिन 1750 में ये अंदाजा हुआ, और अंदाजा हुआ 1 व्यक्ति को, उसका नाम था सिराजुद्दोला, बंगाल का नवाब था, तो बंगाल का नवाब था सिराजुद्दोला, उसको ये अंदाजा हो गया कि अंग्रेज इस देश में व्यापार करने नहीं आए है, इस देश को गुलाम बनाने आए है, इस देश को लुटने के लिए आए है. क्योकि इस देश में सम्पत्ति बहुत है, क्योकि इस देश में पैसा बहुत है. तो सिराजुद्दोला ने फैसला किया कि अंग्रेजो के खिलाफ कोई बड़ी लड़ाई लड़नी पड़ेगी. और उस बड़ी को लड़ाई लड़ने के लिए सिराजुद्दोला ने युद्ध किया अंग्रेजो के खिलाफ, इतिहास की चोपड़ी में आपने पढ़ा होगा कि पलासी का युद्ध हुआ, 1757 मे . लेकिन इस युद्ध की एक ख़ास बात है जो मै आपको याद दिलाना चाहता हु, आज के समय में भी वो बहुत महत्वपूर्ण है. 1757 में जब पलासी का युद्ध हुआ. मै बचपन में जब विद्यार्थी था कक्षा 9 में पढता था मै, तो मै मेरे इतिहास के अध्यापक से ये पूछता था कि सर मुझे ये बताईए कि पलासी के युद्ध में अंग्रेजो की तरफ से कितने सिपाही थें लड़ने वाले. तो मेरे अध्यापक कहते थे कि मुझको नहीं मालूम. तो मै कहता था क्यों नहीं मालूम, तो कहते थे कि कुझे किसी ने नहीं पढाया तो मै तुमको कहाँ से पढ़ा दू.

    तो मै उनको बराबर एक ही सवाल पूछता था कि सर आप जरा ये बताईये कि बिना सिपाही के कोई युद्ध हो सकता है कि नहीं तो फिर हमको ये क्यों नहीं पढाया जाता है कि युद्ध में कितने सिपाही अंग्रेजो के पास. और उसके दूसरी तरफ एक और सवाल मै पूछता था कि अच्छा ये बताईये कि अंग्रेजो के पास कितने सिपाही थे ये तो हमको नहीं मालुम सिराजुद्दोला जो लड़ रहा था हिंदुस्तान की तरफ से उनके पास कितने सिपाही थे? तो कहते थे कि वो भी नहीं मालूम. पलासी के युद्ध के बारे में इस देश में इतिहास की 150 किताबे है जो मैंने देखी है, उन 150 मै से एक भी किताब में ये जानकारी नहीं दी गई है कि अंग्रेजो की तरफ से कितने सिपाही लड़ने वाले थे और हिनदुस्तान की तरफ से कितने सिपाही लड़ने वाले थे. और मै आपको सच बताऊ मै मेरे बचपन से इस सवाल से बहुत परेसान रहा. और इस सवाल का जवाब अभी 3 साल पहले मुझे मिला. वो भी हिंदुस्तान में नहीं मिला लन्दन में मिला.

    लन्दन में एक इंडिया हाउस लाइब्रेरी है बहूत बड़ी लाइब्रेरी है, उस इंडिया हाउस लाइब्रेरी में हिंदुस्तान के गुलामी के 20000 से भी ज्यादा दस्तावेज़ रखे हुआ है. जो हमारे देश में नहीं है वहां रखे हुए है. भारतवर्ष को अंग्रेजो ने कैसे तोड़ा कैसे गुलाम बनाया इसकी पूरी विगतवार जानकारी उन 20000 दस्तावेजो में इंडिया हाउस लाइब्रेरी में मौजूद है.
    मेरे एक परिचित है प्रोफेसर धरमपाल, वो 40 वर्ष तक यूरोप में रहे है, मैंने एक बार उनको एक चिट्ठी लिखी, मैंने कहा सर, मै ये जानना चाहता हु बेसिक क्वेश्चन कि पलासी के युद्ध में अंग्रेजो के पास कितने सिपाही थे. तो उन्होंने कहा देखो राजीव, अगर तुमको ये जानना है तो बहुत कुछ जानना पड़ेगा, और तुम तैयार हो जानने के लिए, तो मैंने कहा मै सब जानना चाहता हु. मै इतिहास का विद्यार्थी नहीं लगा लेकिन इतिहास को समझना चाहता हु कि ऐसी कौन सी ख़ास बात थी जो हम अंग्रेजो के गुलाम हो गए, ये समझ में तो आना चाहिए अपने को, कि कैसे हम अंग्रेजो के गुलाम हो गए. ये इतना बड़ा देश, 34 करोड़ की आबादी वाला देश 50 हजार अंग्रेजो का गुलाम कैसे हो गया ये समझना चाहिए. तो वो पलासी के युद्ध पर से वो समझ में आया. उन्होंने कुछ दस्तावेज़ मुझे भेजें, फोटोकॉपी करा के और मेरे पास अभी भी है. उन दस्तावेजो को जब मै पढता था तो मुझे पता चला कि पलासी के युद्ध में अंग्रेजो के पास मात्र 300 सिपाही थे, 3 हंड्रेड. और सिराजुद्दोला के पास 18000 सिपाही थे. अब किसी भी सामने के विद्यार्थी से, बच्चे से, या सामान्य बुद्धि के आदमी से आप ये पूछो के एक बाजु में 300 सिपाही, और दुसरे बाजु में 18000 सिपाही, कौन जीतेगा? 18000 सिपाही जिनके पास है वो जीतेगा.

    लेकिन जीता कौन ? जिनके पास मात्र 300 सिपाही थे वो जीत गए, और जिनके पास 18000 सिपाही थे वो हार गए. और हिंदुस्तान के, भारतवर्ष के एक एक सिपाही के बारे में अंग्रेजो के पार्लियामेंट में ये कहा जाता था कि भारतवर्ष का 1 सिपाही अंग्रेजो के 5 सिपाही को मारने के लिए काफी है, इतना ताकतवर, तो इतने ताकतवर 18000 सिपाही अंग्रेजो के कमजोर 300 सिपाहियो से कैसे हारे ये बिलकुल गम्भीरता से समझने की जरुरत है. और उन दस्तावेजो को देखने के बाद मुझे पता चला कि हम कैसे हारे. अंग्रेजो की तरफ से जो लड़ने आया था उसका नाम था रोबर्ट क्लाइव, वो अंग्रेजी सेना का सेनापति था. और भारतवर्ष की तरफ से जो लड़ रहा था सिराजुद्दोला, उसका भी एक सेनापति था, उसका नाम था मीर जाफ़र. तो हुआ क्या था रोबर्ट क्लाइव ये जनता था कि अगर भारतीय सिपाहियो से सामने से हम लड़ेंगे तो हम 300 लोग है मारे जाएँगे, 2 घंटे भी युद्ध नहीं चलेगा. और क्लाइव ने इस बात को कई बार ब्रिटिस पार्लियामेंट को चिट्ठी लिख के कहा था. क्लाइव की 2 चिट्ठियाँ है उन दस्तावेजो में, एक चिट्ठी में क्लाइव ने लिखा कि हम सिर्फ 300 सिपाही है, और सिराजुद्दोला के पास 18000 सिपाही है. हम युद्ध जीत नहीं सकते है, अगर ब्रिटिश पार्लियामेंट अंग्रेजी पार्लियामेंट ये चाहती है कि हम पलासी का युद्ध जीते, तो जरुरी है कि हमारे पास और सिपाही भेजे जाए.

    उस चिट्ठी के जवाब में क्लाइव को ब्रिटिश पार्लियामेंट की एक चिट्ठी मिली थी और वो बहुत मजेदार है उसको समझना चाहिए. उस चिट्ठी में ब्रिटिश पार्लियामेंट के लोगों ने ये लिखा कि हमारे पास इससे ज्यादा सिपाही है नहीं. क्यों नहीं है ? क्योकि 1757 में जब पलासी का युद्ध शुरु होने वाला था उसी समय अंग्रेजी सिपाही फ़्रांस में नेपोलियन बोनापार्ट के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे. और नेपोलियन बोनापार्ट क्या था अंग्रेजो को मार मार के फ़्रांस से भगा रहा था. तो पूरी की पूरी अंग्रेजी ताकत और सेना नेपोलियन बोनापार्ट के खिलाफ फ़्रांस में लडती थी इसी लिए वो ज्यादा सिपाही दे नहीं सकते थे, तो उन्होंने कहा अपने पार्लियामेंट में कि हम इससे ज्यादा सिपाही आपको दे नहीं सकते है. जो 300 सिपाही है उन्ही से आपको पलासी का युद्ध जीतना होगा. तो रोबर्ट क्लाइव ने अपने दो जासूस लगाए, उसने कहा देखो युद्ध लड़ेंगे तो मारे जाएँगे, अब आप एक काम करो, उसने दो अपने साथिओं को कहा कि आप जाओ और सिराजुद्दोला की आर्मी में पता लगाओ कि कोई ऐसा आदमी है क्या जिसको रिश्वत दे दें. जिसको लालच दे दें. और रिश्वत के लालच में जो अपने देश से गद्दारी करने को तैयार हो जाए, ऐसा आदमी तलाश करो.

    उसके दो जासूसों ने बराबर सिराजुद्दोला की आर्मी में पता लगाया कि हां एक आदमी है, उसका नाम है मीर जाफर, अगर आप उसको रिश्वत दे दो, तो वो हिंदुस्तान को बेंच डालेगा. इतना लालची आदमी है. और अगर आप उसको कुर्सी का लालच दे दो, तब तो वो हिंदुस्तान की 7 पुश्तो को बेंच देगा. और मीर जाफर क्या था, मीर जाफर ऐसा आदमी था जो रात दिन एक ही सपना देखता था कि एक न एक दिन मुझे बंगाल का नवाब बनना है. और उस ज़माने में बंगाल का नवाब बनना ऐसा ही होता था जैसे आज के ज़माने में बहुत नेता ये सपना देखते है कि मुझे हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री बनना है, चाहे देश बेंचना पड़े. तो मीर जाफर के मन का ये जो लालच था कि मुझे बंगाल का नवाब बनना है. माने कुर्सी चाहिए, और मुझे पूंजी चाहिए, पैसा चाहिए, सत्ता चाहिए और पैसा चाहिए. ये दोनो लालच उस समय मीर जाफर के मन में सबसे ज्यादा प्रबल थे, तो उस लालच को रोबर्ट क्लाइव ने बराबर भांप लिया.

    तो रोबर्ट क्लाइव ने मीर जाफर को चिट्ठी लिखी है. वो चिट्ठी दस्तावेजो में मौजूद है और उसकी फोटोकोपी मेरे पास है. उसने चिट्ठी में दो ही बातें लिखी है, देखो मीर जाफर अगर तुम अंग्रेजो के साथ दोस्ती करोगे, और ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ समझौता करोगे, तो हम तुमको युद्ध जीतने के बाद बंगाल का नवाब बनाएँगे. और दूसरी बात कि जब आप बंगाल के नवाब हो जाओगे तो सारी की सारी सम्पत्ति आपकी हो जाएगी. इस सम्पत्ति में से 5 टका हमको दे देना, बाकि तुम जितना लूटना चाहो लुट लो. मीर जाफर चूँकि रात दिन ये ही सपना देखता था कि किसी तरह कुर्सी मिल जाए, और किसी तरह पैसा मिल जाए, तुरंत उसने वापस रोबर्ट क्लाइव को चिट्ठी लिखी और उसने कहा कि मुझे आपकी दोनों बातें मंजूर है. बताईए करना क्या है ? तो आखरी चिट्ठी लिखी है रोबर्ट क्लाइव ने मीर जाफर को कि आपको सिर्फ इतना करना है कि युद्ध जिस दिन शुरु होगा, उस दिन आप अपने 18000 सिपाहियो को कहिए की वो मेरे सामने सरेंडर कर दें बिना लड़े.

    मीर जाफर ने कहा कि आप अपनी बात पे कायम रहोगे ? मुझे नवाब बनाना है आपको. तो रोबर्ट ने कहा कि बराबर हम अपनी बात पे कायम है, आपको हम बंगाल का नवाब बना देंगे. बस आप एक ही काम करो कि अपनी आर्मी से कहो, क्योकि वो सेनापति था आर्मी का, तो आप अपनी आर्मी को आदेश दो कि युद्ध के मैदान में वो मेरे सामने हथियार डाल दे, बिना लड़े, मीर जाफर ने कहा कि ऐसा ही होगा. और युद्ध शुरु हुआ 23 जून 1757 को. इतिहास की जानकारी के अनुसार २३ जून १७५७ को युद्ध शुरु होने के 40 मिनट के अंदर भारतवर्ष के 18000 सिपाहियो ने मीर जाफर के कहने पर अंग्रेजो के 300 सिपाहियो के सामने सरेंडर कर दिया.

    रोबर्ट क्लाइव ने क्या किया कि अपने 300 सिपाहियो की मदद से हिंदुस्तान के 18000 सिपाहियो को बंदी बनाया, और कलकत्ता में एक जगह है उसका नाम है फोर्ट विलियम, आज भी है, कभी आप जाइए, उसको देखीए. उस फोर्ट विलियम में 18000 सिपाहियो को बंदी बना कर ले गया. 10 दिन तक उसने भारतीय सिपाहियो को भूखा रखा और उसके बाद ग्यारहवे दिन सबकी हत्या कराई. और उस हत्या कराने में मीर जाफ़र रोबर्ट क्लाइव के साथ शामिल था, उसके बाद रोबर्ट क्लाइव ने क्या किया, उसने बंगाल के नवाब सिराजुद्दोला की हत्या कराई मुर्शिदाबाद में, क्योकि उस जमाने में बंगाल की राजधानी मुर्शिदाबाद होती थी, कलकत्ता नही. सिराजुद्दोला की हत्या कराने में रोबर्ट क्लाइव और मीर जाफ़र दोनों शामिल थे. और नतीजा क्या हुआ ? बंगाल का नवाब सिराजुद्दोला मारा गया, ईस्ट इंडिया कंपनी को भागने का सपना देखता था इस देश में वो मारा गया, और जो ईस्ट इंडिया कंपनी से दोस्ती करने की बात करता था वो बंगाल का नवाब हो गया, मीर जाफ़र.

    इस पुरे इतिहास की दुर्घटना को मै एक विशेष नजर से देखता हु. मै कई बार ऐसा सोंचता हु कि क्या मीर जाफ़र को मालूम नहीं था कि ईस्ट इंडिया कंपनी से दोस्ती करेंगे तो इस देश की गुलामी आएगी ? मिर जाफ़र जानता था इस बात को. मीर जाफ़र बराबर जानता था कि मै मेरे कुर्सी के लालच में जो खेल खेल रहा हु उस खेल में इस देश को सैंकड़ो वर्षो की गुलामी आ सकती है. ये वो जनता था. और ये भी जानता था कि अपने स्वार्थ में, अपने लालच में मै जो गद्दारी करने जा रहा हु इस देश के साथ उसके क्या दुष्परिणाम होंगे, वो भी उसको मालूम थे.

    मै ऐसा सोंचता हु कि हम गुलामी से आजाद हो जाते, क्योकि 18000 सिपाही हमारे पास थे और 300 अंग्रेज सिपाहियो को मारना बिलकुल आसन काम था हमारे लिए. हम 1757 में ही अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हो जाते एक बात और दूसरी बात ये जो २०० वर्षो की गुलामी हमको झेलनी पड़ी १७५७ से १९४७ तक, और उस २०० वर्ष की गुलामी को भागने के लिए ६ लाख लोगों की जो क़ुरबानीयां हमको देनी पड़ी, वो बच गया होता. भगत सिंह, चंद्रशेखर, उधम सिंह, तांत्या टोपे, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, सुभाष चन्द्र बोस, ऐसे ऐसे नौजवानों की कुर्बानिया दी है ये कोई छोटे मोटे लोग नहीं थे. सुभाष चन्द्र बोस तो आईपीएस टोपर थे, उधम सिंह चाहता तो ऐयासी कर सकता था, बड़े बाप का बेटा था. भगत सिंह और चंद्रशेखर की भी यही हैसियत थी. चाहते तो जिन्दगी की, जवानी की रंगरलियां मानते और अपनी नौजवानी को ऐसे फंदे में नहीं फ़साते. ये सारे वो नौजवान थें जिनका खून इस देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण था. ६ लाख ऐसे नौजवानों की कुर्बानियां जो हमने दी, वो नहीं देनी पड़ती. और अंग्रेजो की जो यातनाए सही, जो अपमान हमने बर्दास्त किया, वो नहीं करना पड़ता अगर एक आदमी नहीं होता, मीर जाफ़र. लेकिन चूँकि मीर जाफ़र था, मीर जाफ़र का लालच था, कुर्सी का और पैसे का, उस लालच ने इस देश को २०० वर्ष के लिए गुलाम बना दिया.!!

    और मै आपसे यही कहने आया हु कि 1757 में तो एक मीर जाफ़र था आज हिंदुस्तान में हज़ारो मीर जाफ़र है. जो देश को वैसे ही गुलाम बनाने में लगे हुए है जैसे मीर जाफ़र ने बनाया था, मीर जाफ़र ने क्या किया था, विदेशो कंपनी को समझौता किया था बुला के, और विदेशो कंपनी से समझौता करने के चक्कर में उसे कुर्सी मिली थी और पैसा मिला था. आज जानते है हिंदुस्तान का जो नेता प्रधानमंत्री बनता है, हिंदुस्तान का जो नेता मुख्यमंत्री बनता है वो सबसे पहला काम जानते है क्या करता है ? प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है और कहता है विदेशो कंपनी वालो तुम्हारा स्वागत है, आओ यहाँ पर और बराबर इस बात को याद रखिए ये बात 1757 में मीर जाफ़र ने कही थी ईस्ट इंडिया कंपनी से कि अंग्रेजो तुम्हारा स्वागत है, उसके बदले में तुम इतना ही करना कि मुझे कुर्सी दे देना और पैसा दे देना. आज के नेता भी वही कह रहे है, विदेशी कंपनी वालों तुम्हारा स्वागत है.

    और हमको क्या करना, हमको कुछ नहीं, मुख्यमंत्री बनवा देना, प्रधानमंत्री बनवा देना. 100 – 200 करोड़ रूपये की रिश्वत दे देना, बेफोर्स के माध्यम से हो के एनरोंन के माध्यम से हो. हम उसी में खुश हो जाएँगे, सारा देश हम आपके हवाले कर देंगे. ये इस समय चल रहा है. और इतिहास की वही दुर्घटना दोहराइ जा रही है जो १७५७ में हो चुकी है. और मै आपसे मेरे दिल का दर्द रहा रहा हु कि एक ईस्ट इंडिया कंपनी इस देश को २०० – २५० वर्ष इस देश को गुलाम बना सकती है, लुट सकती है तो आज तो इन मीर जफरो ने 6000 विदेशी कम्पनियो को बुलाया है. !!

    आगे का लैक्चर आप यहाँ click कर सुन सकते हैं !!

    https://www.youtube.com/watch?v=bLDLJFvML58


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