बिना हाथ पैर के,...चल के न तैर के...
सबके घर चली जाऊं...बिना किसी बैर के.
उत्तर: पत्र
सोने को पलंग नहीं,
न ही महल बनाए,
एक रुपया पास नहीं,
फिर भी राजा कहलाए।
उत्तर: शेर
चार खड़े, दो अड़े, दो पड़े.......
एक-एक के मुहं में दो-दो पड़े...
उत्तर:खटिया
यह दिखने में बड़ा ही सुंदर
लेकिन नहीं ये भालू बंदर
अपनी धुन में मस्त कलंदर
इसके नाम में जुड़ा है रन
घर हैं इसके सुंदर वन
उत्तर: हिरन
मैं हूँ हरी, मेरे बच्चे काले....
मुझे छोड़ , मेरे बच्चे खाले
न सीखा संगीत कहीं पर
न सीखा कोई गीत
लेकिन इसकी मीठी वाणी में
भरा हुआ संगीत
सुबह सुबह ये करे रियाज
मन को भाती इसकी आवाज
उत्तर: कोयल
नहीं मैं मिलती बाग में,
आधी फल हूँ, आधी फूल।
काली हूँ पर मीठी हूँ,
खा के न पाया कोई भूल।
उत्तर: गुलाबजामुन
रंग बिरंगा बदन है इसका
कुदरत का वरदान मिला
इतनी सुंदरता पाकर भी
दो अक्षर का नाम मिला
ये वन में करता शोर
इसके चर्चे हैं हर ओर
उत्तर: मोर
नोच-नोच कर खाता मांस
जीव है दुनिया का ये खास
दो अक्षर का छोटा नाम
लेकिन इसका मोटा काम
उड़ता रहता सुबह शाम
उत्तर: गिद्ध
बड़ा बेसुरा बड़ा कुरूप
काला है भई उसका रूप
लेकिन उड़ना जाने है वो
मगर नहीं वो पतंग विमान
उसकी वाणी इतनी कढ़वी
पक जाते हैं सुनकर कान
बतलाओ तुम उसका नाम
उत्तर : कौवा
सोने की वह चीज है,
पर बेचे नहीं सुनार।
मोल तो ज्यादा है नहीं,
बहुत है उसका भार।
उत्तर: चारपाई
आगे त है पीछे त है
इसको सबकुछ बड़ा पता है
नकल उतारे सुनकर वाणी
चुप-चुप सुने सभी की कहानी
नील गगन है इसको भाए
चलना क्या उड़ना भी आए
पर पिंजरा न इसको भाए
उत्तर: तोता
राजा महाराजाओं के ये
कभी बहुत ही आया काम
संदेशा इसने पहुंचाया
सुबह चाहा या थी शाम
बतलाओ अब इसका नाम
उत्तर: कबूतर
छोटा था तो नारी था मैं,
बड़ा हुआ तो नर।
नारी का तो कम मोल था,
नर की बड़ी कदर।
उत्तर: अमिया-आम
आगे प है मध्य में भी प
अंत में इसके ह है
कीट पतंग नहीं ये भैया
न बिल्ली चूहा है
वन में पेड़ों पर रहता है
सुर में रहकर कुछ कहता है
उत्तर: पपीहा
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