लुगाई बोली- 'म्हैं पतिदेव नै कह री ही, कै दो-दो सीढी एक सागै चढियो जिण सूं जूता कम टूटैंगा।'
पाड़ोसण बोली- 'पण ईं में नाराज होणै की के बात है। बै थारो कैणो मान्यो कोनी के?'
लुगाई बोली- 'कैणो तो मान लियो, पण बै दो-दो की जगां, च्यार-च्यार सीढी चढ़ बैठ्या,
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