help disabled & handicapped, जिम्मेदारी बनती है
एक नागरिक होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम विकलांगो की जरूरतों को समझें, उनकी बाधाओं (शारीरिक और मानसिक) जो कि उन्हें आम जीवन जीने से रोकती है, को दूर करने का प्रयास करें और अगर यह संभव न हो तो कम से कम उन्हें चैन से जीने ही दें. विकलांगता का शिकार कोई भी हो सकता है इसलिए इन्हें घृणा का पात्र न मानें बल्कि स्नेह दें.
अरे पर्वत तू कल तक जिसकी लाचारी पे हँसता था,
तेरी चोटी पे बैठा है वही बैसाखियाँ लेकर ....
अरे पर्वत तू कल तक जिसकी लाचारी पे हँसता था,
तेरी चोटी पे बैठा है वही बैसाखियाँ लेकर ....
