वो अपनाने और ठुकरने की अदा भी तेरी थी,
मैं अपनी वफ़ा का इंसाफ किस से मांगता ?
वो शहर भी तेरा था और वो अदालत भी तेरी थी...
आपके आने से ज़िन्दगी कितनी खुबसूरत है,
दिल में बसी है जो वो आपकी ही सूरत है,
दूर जाना नहीं हमसे कभी भूलकर भी,
हमे हर कदम पैर आपकी ज़रूरत है |
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